इन वजहों से झड़ते हैं बाल! समय रहते रोकना चाहते हैं, तो कराएं ये 5 जरूरी ब्लड टेस्ट
आजकल बाल झड़ने की समस्या (Hair Fall) आम होती जा रही है। तनाव, हार्मोनल असंतुलन, प्रदूषण, गलत खानपान और केमिकल वाले प्रोडक्ट इसकी बड़ी वजहें हैं। कई लोग महंगे ट्रीटमेंट करवाते हैं, लेकिन अगर इनसे भी बाल झड़ना बंद नहीं होता, तो समझ लें कि समस्या अंदरूनी (Internal) है और इसके लिए जरूरी जांच करानी चाहिए।
डॉ. श्रद्धेय कटियार (MBBS, MD) ने अपने X (ट्विटर) पर बताया कि हेयर फॉल रोकने और सही इलाज शुरू करने के लिए सबसे पहले इन 5 अहम ब्लड टेस्ट को जरूर करवाना चाहिए—
1. विटामिन B12 टेस्ट
विटामिन B12 शरीर में रेड ब्लड सेल्स बनाने में मदद करता है, जो बालों की जड़ों तक ऑक्सीजन पहुंचाती हैं।
ऑक्सीजन की कमी ⇒ बाल पतले, कमजोर और तेजी से झड़ने लगते हैं।
- कम B12 = कम ऑक्सीजन सप्लाई
- कम ऑक्सीजन = खराब हेयर ग्रोथ
2. विटामिन D3 टेस्ट
विटामिन D सिर्फ न्यूट्रिएंट नहीं, बल्कि हार्मोन की तरह काम करता है।
यह केराटिनोसाइट्स सेल्स को सक्रिय करता है, जो हेयर फॉलिकल की सेहत के लिए बेहद जरूरी हैं।
- विटामिन D की कमी ⇒
- हेयर फॉलिकल कमजोर
- स्कैल्प पर सूजन
- बालों की ग्रोथ धीमी
3. एक्सटेंडेड थायराइड प्रोफाइल (T3, T4, TSH)
थायराइड हार्मोन का असंतुलन—चाहे हाइपोथायरायडिज्म हो या हाइपरथायरायडिज्म—सीधे बालों पर असर डालता है।
- थायराइड असंतुलन ⇒
- बाल टूटते हैं
- झड़ते हैं
- रूखे व पतले हो जाते हैं
सही इलाज होते ही बाल दोबारा उगने लगते हैं।
4. सीरम आयरन और फेरिटिन
आयरन बालों की मजबूती के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
आयरन की कमी ⇒ टेलोजेन एफ्लुवियम यानी पूरे सिर पर बाल झड़ना।
लक्षण–
- ब्रश करते समय ज्यादा बाल गिरना
- बाल बेजान और कम घने दिखना
- नए बालों का कम उगना
महिलाओं और डाइटिंग करने वालों में यह समस्या ज्यादा देखी जाती है।
5. DHEA-S (DHEA Sulfate)
यह हार्मोन शरीर में एंड्रोजन और एस्ट्रोजन बनाने में मदद करता है।
इसका लेवल बिगड़ने पर खासकर जिनमें जेनेटिक हेयर लॉस (Androgenetic Alopecia) है, उनमें बाल तेजी से झड़ने लगते हैं।
- DHEA-S असंतुलन ⇒
- हेयर फॉलिकल सिकुड़ना
- पैटर्न हेयर लॉस
- बालों की ग्रोथ रुकना
उम्र बढ़ने के साथ DHEA कम होता जाता है।
निष्कर्ष
अगर आपका हेयर फॉल बहुत ज्यादा हो रहा है और किसी भी घरेलू उपाय या प्रोडक्ट से फायदा नहीं मिल रहा, तो ये पांच ब्लड टेस्ट कराना जरूरी है।
सही रिपोर्ट आने के बाद डॉक्टर आसानी से समझ पाते हैं कि समस्या किस वजह से है और फिर उसी अनुसार इलाज शुरू किया जाता है।

