गढ़वाली को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग: श्रीनगर में हुआ गहन मंथन
श्रीनगर गढ़वाल: उत्तराखंड में गढ़वाली भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की लंबे समय से चल रही मांग के तहत, श्रीनगर गढ़वाल के हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के शैक्षणिक प्रशिक्षण केंद्र चौरास में एक महत्वपूर्ण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य गढ़वाली भाषा के व्याकरण और मानकीकरण पर चर्चा करना था, जिसमें विभिन्न साहित्यकारों ने भाग लिया।
गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी का संदेश
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी ने कहा, “हमें अपनी भाषा नई पीढ़ी को सौंपनी होगी ताकि हमारी संस्कृति जीवित रह सके।” उन्होंने गढ़वाली भाषा की विविधता पर जोर देते हुए कहा कि इसका एकीकरण साहित्यकारों के लिए एक बड़ी चुनौती है। साथ ही, उन्होंने सभी को मिलकर काम करने की अपील की।
शिक्षा प्रणाली में गढ़वाली की आवश्यकता
गढ़वाल विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रोफेसर महावीर सिंह नेगी और कला संकाय की डीन प्रोफेसर मंजुला राणा ने भी गढ़वाली भाषा की विशेषताओं पर प्रकाश डाला। विशेष अतिथि मनवर सिंह रावत ने कहा, “भाषा तभी बचेगी जब इसे संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाएगा।” सभी ने सहमति जताई कि नई पीढ़ी अपनी बोली से दूर होती जा रही है और सरकार को शिक्षा प्रणाली में गढ़वाली को शामिल करने के प्रयास करने चाहिए।
प्रवासियों के लिए ऑनलाइन गढ़वाली कक्षाएँ
साहित्यकार डॉ. नंद किशोर हटवाल ने गढ़वाली भाषा के मानकीकरण पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि गढ़वाली में भौगोलिक स्थिति के अनुसार बदलाव होते हैं, जिसे व्यवहार में लाना आवश्यक है। 12 अक्टूबर से इंग्लैंड में रहने वाले प्रवासियों के लिए ऑनलाइन माध्यम से गढ़वाली सीखने की कक्षाएँ आयोजित की जाएंगी।
आठवीं अनुसूची का महत्व
भारत विविधताओं से भरा देश है, जहां विभिन्न प्रकार की बोलियाँ और भाषाएँ बोली जाती हैं। भारतीय संविधान ने 22 भाषाओं को आठवीं अनुसूची में रखा है, जिसमें गढ़वाली और कुमाऊनी जैसी भाषाओं को शामिल करने की मांग लंबे समय से उठाई जा रही है। देशभर में 40 भाषाएँ हैं जिनको आठवीं अनुसूची में शामिल करने की अपील की जा रही है।
निष्कर्ष
इस कार्यशाला के माध्यम से गढ़वाली भाषा के महत्व और उसे संरक्षित करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। सभी ने मिलकर गढ़वाली को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की दिशा में कदम बढ़ाने की जरूरत पर सहमति जताई।