Delhi Braces for Another Wave of Farmers Protest: फिर दिल्ली कूच पर किसान
एक बार फिर से दिल्ली की सड़कों पर आपको किसान दिखने वाले हैं वो भी कुछ सौ नहीं बल्की हजारों की संख्या में. दिल्ली में फिर से कीलों की दीवार और बड़े बड़े बोल्डर लगा दिए गए हैं. और फिर से सैकड़ों पुलिस वालों को दिल्ली बॉर्डर पर लगा कर सड़कों को छावनी में बदल दिया गया है.
आपको 2020-21 में किसानों का एक साल तक चलने वाला आंदोलन तो याद होगा ही. शायद किसी को याद हो भी ना क्योंकि उस समय मीडिया से लेकर सरकार तक ने उसे किसानों का आंदोलन कम और खालिस्तानियों का आंदोलन बताने में कोई कसर नहीं छोडी थी. इसीलिए आपको शायद याद ना हो की दिल्ली की सड़कों पर पूरे एक साल तक किसान सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ जुटे थे. वो कृषि कानूनों जो सरकार ने पूरे एक साल बाद और 700 किसानों की मौत के बाद वापस लिए थे.

उस किसान आंदोलन के 2 साल बाद अब किसान फिर से दिल्ली आ रहे ही और इस बार भी वही मांगें हैं जो पिछली बार थीं. किसानों का कहना है की सरकार ने उनके खिलाफ वादाखिलाफी की है. इसीलिए वो दो साल बाद फिर दिल्ली पहुंच रहे हैं. और फिर से सरकार उन्हें उसी तरह रोकने की कोशिश कर रही है जैसे 2020-21 में की गई थी.

केंद्र सरकार ने दिल्ली बॉर्डर पर सीमेंट की दीवारें और कीलें तो बिछा ही दी हैं लेकिन हरियाणा की सरकार ने एक कदम आगे बढ़कर राज्य की 7 जिलों में इंटरनेट बंद कर दिया है और यहां तक की पंचकुला में धारा 144 भी लगा दी है. पैरा मिलिट्री फोर्स की 50 टीमें लगा दी गई हैं और टिकरी बॉर्डर से लेकर शंभू बॉर्ड समेत पंजाब से सटे बॉर्डर को भी कीलों और बैरिकेड लगा कर बंद कर दिया है. यहां तक की घग्गर नदी को भी खोद दिया है ताकी ट्रैक्टर उससे आर पार ना जा सकें. किसानों को डीटेन तक करने की तैयारी में हरियाणा सरकार है और पूरी कोशिश की जा रही है की दिल्ली तो दिल्ली लेकिन किसान पहले हरियाणा में ही ना पहुंच पाएं.
13 फरवरी को किसान दिल्ली आने वाले हैं और ये पूरा आंदोलन संयुक्त किसान मार्चा और किसान मजदूर मोर्चा समेत 200 से ज्यादा संगठनों द्वारा किया जा रहा है. करीब 15 हजार से 20 हजार किसानों के आने की आशंका है और 2000 से पच्ची सौ ट्रैक्टर सड़क पर दिख सकते हैं. किसान पहले की तरह ही राशन साथ में लेकर आने वाली है ताकी आंदोलन लंबा किया जा सके.
अब आप भी सोच रहे होंगे की किसानों की मांग क्या है. मांग किसानों की वही है जो इससे पहेल वाले आंदोलन में थी. जैसे उन्हें MSP की गारंटी दी जाए. मतलब की उनकी फसल का मिनिमम समर्थन मूल्य ताकी किसानों की फसलें औड़ी-कौड़ी दाम में ना बिके. इसके अलावा स्वामिनाथन कमेटी की शफारिशों को भी लागू करने की मांग किसान कर रहे हैं. 2006 में स्वामीनाथन कमीशन ने एक रिपोर्ट सरकार को दी थी जिसमें किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने और पैदावार बढ़ाने के लिए कुछ शिफारिशें दी गई थीं. किसान उन्हीं सिफारिशों को लागू करने की मांग कर रहे हैं. प्रो. एमएस स्वामीनाथन को भारत में हरित क्रांति का जनक माना जाता है.
इसके अलावा किसान कर्ज माफी की भी मांग कर रहे हैं. अब किसी-किसी को लगेगा की कर्ज माफ क्यों किया जाना चाहिए. लेकिन वही लोग इस सवाल पर चुप रहेंगे की उद्योगपतियों के हजारों करोड़ों रुपय क्यों माफ किए जाते हैं. खैर ये एक अलग डिबेट है. बस इतना जान लीजिए की किसान खेती के लिए कर्ज को ले लेता है लेकिन. कभी मौसम की मार तो कभी बाजार में दाम गिरने से उसे नुकसान उठाना पड़ता है जिसके चलते कई किसान य़ा तो कर्ज तले गरीब होते जीते हैं या आत्महत्या तक कर लेते हैं. इसीलिए कर्ज माफी की मांग की जा रही है. औऱ एक आंकड़ा ये भी जान लीजिए की पिछले सात सालों में मोदी सरकार ने करीब 50% से ज्यादा उद्योगपतियों का 11 लाख करोड़ रुपये के लोन माफ़ किया है.
इसके साथ ही किसानों की एक मांग ये भी है की किसानों और खेती के मजदूरों को पेनशन मिले. ताकी वो बुढापा ठीक से जी पाएं… इसके अलावा प्रदर्शनों औऱ आंदोलन के दौरान होने वाले मुकदमों को हटाने की मांग भी किसानों द्वारा की गई है. 2020-21 में होने वाले आंदोलनों में भी किसानों पर कई धाराओं में मुकदमें किए गए थे.
वहीं किसानों ने लखीमपुर-खीरी में किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ाने के मामले में भी न्याय की मांग की है. अगर आपको इसके बारे में भी नहीं पता तो आप धन्य हैं क्योंकि देश में कुछ लोग किसानों पर गाड़ी चढ़ा देते हैं और आपको इसकी जानकारी भी नहीं हैं तो आप धन्य ही हुए. फिर भी जान लेते हैं . 3 अक्टूबर, 2021 को लखीमपुर खीरी में किसानों के आंदोलन के दौरान केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्र ने किसानों को गाड़ी से रौंदा था. ऐसे आरोप उनपर हैं. जिस मामले में उन्हें जमानत भी मिल चुकी है. इस हिंसा में पत्रकार समेत 8 लोगों की मौत हुई थी. जिसमें किसान आज तक न्याय की गुहार लगा रहे हैं.
तो ये कुछ मांगे किसानों की हैं जिसे लेकर अब वो फिर से दिल्ली की ओर कूच कर रहे हैं. और फिर से सरकार ने सड़कों पर कीलें ठोक दी हैं. देखते हैं राजा जीतता है या किसान. बहरहाल खबर पर अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें और बाकी खबरों के लिए सुनेगा इंडिया को फॉलो औऱ सब्सक्राइब कर लीजिए.