तिब्बत में चीन का सबसे बड़ा बांध भारत के लिए क्यों बन सकता है ‘वॉटर बम’? जानिए भारत का काउंटर प्लान
चीन द्वारा तिब्बत में बनाई जा रही दुनिया की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना को लेकर भारत में चिंता तेज़ हो गई है। यारलुंग त्सांगपो नदी पर बनने वाला 60,000 मेगावाट क्षमता का “ग्रेट बेंड डैम” न केवल पर्यावरणीय खतरे पैदा कर सकता है, बल्कि भारत के लिए ‘वॉटर बम’ भी साबित हो सकता है।
📍 क्या है मामला?
चीन ने 2023 के अंत में इस मेगाडैम को मंजूरी दी थी। यह वही नदी है जो भारत में सियांग और आगे चलकर ब्रह्मपुत्र के रूप में जानी जाती है। यह नदी अरुणाचल प्रदेश, असम और बांग्लादेश के करोड़ों लोगों की जीवनरेखा मानी जाती है।
हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने चेतावनी दी कि यदि चीन इस नदी का प्रवाह मोड़ता है या अचानक जल छोड़ता है, तो यह भारत के लिए भारी तबाही ला सकता है। उन्होंने इसे “अस्तित्व का खतरा” बताया।
🧨 कैसे बन सकता है चीन का बांध ‘वॉटर बम’?
- यारलुंग त्सांगपो का पानी सीधे भारत की कृषि और जनजीवन से जुड़ा है।
- यदि चीन नदी के फ्लो में बदलाव करता है या जलराशि रोकता/छोड़ता है, तो इससे बाढ़ या सूखा जैसी आपदाएं आ सकती हैं।
- चीन किसी भी अंतरराष्ट्रीय जल-संधि का हिस्सा नहीं है, जिससे भारत के पास कोई कानूनी उपाय नहीं रह जाता।
- ऑस्ट्रेलियाई थिंक टैंक ‘Lowy Institute’ की एक रिपोर्ट पहले ही चेतावनी दे चुकी है कि चीन पानी को रणनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल कर सकता है।
🇮🇳 भारत का जवाब: ‘सियांग अपर बहुउद्देशीय परियोजना’
मुख्यमंत्री खांडू ने बताया कि भारत सरकार ने इस चुनौती का जवाब देने के लिए 10 गीगावाट की ‘सियांग अपर जलविद्युत परियोजना’ को योजना में शामिल किया है।
यह योजना क्या करेगी?
- जल सुरक्षा सुनिश्चित करेगी
- संभावित बाढ़ की स्थिति में स्ट्रैटेजिक बफर के रूप में काम करेगी
- बिजली उत्पादन के साथ साथ रक्षा तंत्र का भी कार्य करेगी
- स्थानीय आदिवासी समुदायों को साथ लेकर कार्यान्वित की जा रही है
⚠️ पर्यावरण और भूवैज्ञानिक खतरे भी गंभीर
- ग्रेट बेंड डैम के निर्माण के लिए 420 किलोमीटर लंबी सुरंगें बनाई जा रही हैं
- यह क्षेत्र भूकंप संभावित क्षेत्र (tectonic zone) में आता है
- थ्री गॉर्जेस डैम के निर्माण में चीन ने 13 लाख लोगों को विस्थापित किया था, ऐसे में इस नए प्रोजेक्ट से इकोलॉजिकल और सामुदायिक विस्थापन की आशंका जताई जा रही है
🗣️ “चीन को समझाना असंभव, तैयारी ही समाधान”: पेमा खांडू
मुख्यमंत्री खांडू का कहना है, “चीन को हम तर्कों से नहीं समझा सकते, इसलिए अपनी तैयारी और आत्मनिर्भर सुरक्षा प्रणाली पर ही ध्यान देना होगा।” उन्होंने बताया कि सियांग के किनारे बसे आदि जनजाति समेत स्थानीय लोगों को शामिल कर इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाया जाएगा।
📌 निष्कर्ष:
तिब्बत में चीन की यह जलविद्युत परियोजना भारत के लिए एक गंभीर सुरक्षा और पर्यावरणीय चुनौती है। हालांकि भारत सरकार ने काउंटर प्रोजेक्ट तैयार कर लिया है, फिर भी समय रहते इसे लागू करना और क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ मिलकर रणनीति बनाना बेहद ज़रूरी है।