उत्तराखंड में बुरांश की बहार: हिमालयी फूल बना ग्रामीण महिलाओं की आजीविका का सहारा, जूस-जैम से बढ़ रही आमदनी – EMPLOYMENT FROM BURANSH
पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखंड) – उत्तराखंड की वादियों में इस बार प्राकृतिक सौंदर्य के प्रतीक बुरांश के फूल जमकर खिले हैं। जहां पहले ये फूल जंगलों में बर्बाद हो जाते थे, अब वहीं फूल गांव की महिलाओं की आमदनी का जरिया बन रहे हैं। मुख्य विकास अधिकारी (CDO) गिरीश गुणवंत की पहल पर स्वयं सहायता समूहों (SHGs) से जुड़ी महिलाओं को बुरांश के फूलों को एकत्र करने, उनसे जूस, जैम, चटनी और स्क्वैश तैयार करने और उन्हें बेचकर रोजगार कमाने की दिशा में काम शुरू हो गया है।
🌸 बुरांश से बनी आमदनी की राह
पौड़ी जिले के विभिन्न इलाकों में बुरांश के फूल इस साल भरपूर मात्रा में खिले हैं। ऐसे में सीडीओ पौड़ी द्वारा ग्रामोत्थान परियोजना और एनआरएलएम (राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन) के सहयोग से एक विशेष कार्यक्रम चलाया जा रहा है, जिसमें महिलाओं को जंगलों से फूल इकट्ठा करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है।
इन फूलों को 30 से 35 रुपये प्रति किलो की दर से फेडरेशन द्वारा खरीदा जा रहा है। फिर इनसे जूस, जैम, चाय, औषधीय काढ़ा और स्क्वैश जैसे उत्पाद बनाकर स्थानीय और बाहरी बाजारों में बेचा जा रहा है।
🧴 बन रहे हैं ये उत्पाद:
- बुरांश का जूस – गर्मियों में ठंडक देने वाला पेय, हृदय के लिए लाभकारी
- जैम और चटनी – स्वाद और सेहत दोनों का संगम
- हर्बल चाय और काढ़ा – इम्यूनिटी बढ़ाने वाला प्राकृतिक विकल्प
- स्क्वैश – ऊर्जा प्रदान करने वाला औषधीय पेय
रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायक हैं, हृदय को मजबूत बनाते हैं, एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर हैं, जो शरीर से विषैले तत्व निकालते हैं, पाचन तंत्र को सुधारते हैं और इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं
यहां बेचा जा रहा बुरांश:
- दुगड्डा में हर्बल टी यूनिट
- पौड़ी की बेड़ू और फल प्रसंस्करण इकाई
- जिले के अन्य फल प्रसंस्करण केंद्र
इन सभी इकाइयों में बुरांश से बने उत्पादों का प्रसंस्करण और विपणन किया जा रहा है।
फेडरेशन की महिलाएं क्या कहती हैं?
फेडरेशन प्रतिनिधि गीता रावत कहती हैं –“हमारी फेडरेशन में बेड़ू का काम सीजनल होता है, लेकिन इस बार बुरांश ने ऑफ-सीजन में भी हमें काम दे दिया है। गांव की महिलाओं को रोजगार मिला और हमारा व्यवसाय भी चल पड़ा।”