जानें उत्तराखंड के भू-कानून में क्या है खास, जिससे सभी को है आस
भू-कानून में किए गए प्रमुख बदलाव:
1. कृषि और बागवानी भूमि खरीद पर सख्ती
- पहले 12.5 एकड़ तक कृषि और बागवानी भूमि खरीदने की छूट थी, जिससे बाहरी लोगों द्वारा बड़े पैमाने पर भूमि कब्जाने की शिकायतें आईं।
- अब यह छूट केवल हरिद्वार और उधम सिंह नगर जिलों तक सीमित कर दी गई है, जबकि अन्य 11 जिलों में पूरी तरह समाप्त कर दी गई है।
- इन दो जिलों में भी अब डीएम के बजाय शासन से अनुमति लेना अनिवार्य होगा।
- इच्छुक व्यक्ति को कृषि/बागवानी विभाग से प्रमाणपत्र भी प्रस्तुत करना होगा।
2. गैर-कृषि भूमि खरीद के लिए शपथपत्र अनिवार्य
- नगर निकाय और छावनी परिषद क्षेत्रों को इस कानून से बाहर रखा गया है।
- बाहरी व्यक्ति सिर्फ एक बार 250 वर्ग मीटर तक भूमि खरीद सकता है, लेकिन इसके लिए उसे शपथपत्र देना होगा कि वह इसका दुरुपयोग नहीं करेगा।
3. भू-उपयोग में बदलाव पर कड़ी निगरानी
- नगर निकाय क्षेत्रों में भूमि का उपयोग निर्धारित भू-उपयोग के अनुसार ही किया जाएगा।
- नियमों का उल्लंघन करने पर भूमि को राज्य सरकार में निहित कर दिया जाएगा।
- ऑनलाइन पोर्टल के जरिए भूमि खरीद प्रक्रिया की निगरानी होगी।
- सभी जिलाधिकारियों को शासन और राजस्व परिषद को भूमि खरीद की नियमित रिपोर्ट देनी होगी।
भू-कानून के प्रभाव और संभावनाएं:
✅ भूमि माफियाओं पर लगाम – बाहरी लोगों द्वारा बड़े पैमाने पर जमीनें खरीदने और बेची जाने की प्रक्रिया पर रोक लगेगी।
✅ स्थानीय नागरिकों को लाभ – राज्य की सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर की रक्षा होगी और स्थानीय लोगों को जमीन पर अधिक अधिकार मिलेगा।
✅ पर्यावरण संरक्षण – अवैध निर्माण और जंगलों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगेगी।
✅ निवेश की पारदर्शिता – नए कानून के तहत सही लोगों को भूमि खरीदने का अवसर मिलेगा, जिससे राज्य में सही विकास होगा।
उत्तराखंड सरकार ने यह कानून जनभावनाओं के अनुरूप लागू किया है और इसे राज्य की संपत्ति और संसाधनों की रक्षा के लिए ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।