भूमि कानून: सरकार के मजबूत कदम, भू-कानून संशोधन और समिति रिपोर्ट
उत्तराखंड सरकार द्वारा भूमि कानून को मजबूत करने की मांग पर ध्यान देते हुए कदम उठाये जा रहे हैं। इसके तहत, एक उच्च स्तरीय समिति ने पूर्व में बनाई गई समिति की रिपोर्ट की जांच के लिए काम शुरू किया है। इस समिति ने सुनिश्चित करने का जोर दिया है कि जिस उद्देश्य के लिए भूमि खरीदी जाए, उसका उपयोग निर्धारित समय अवधि के भीतर हो।
साथ ही, भूमि खरीद से पहले खरीदार और विक्रेता, दोनों की पहचान के साथ-साथ उचित कारण भी बताने के लिए उन्हें सत्यापित करना होगा। सरकार नई व्यवस्था को अधिक सख्त बनाने के लिए 12.5 एकड़ तक की सीलिंग को खत्म करने पर भी विचार कर रही है।
मुद्दा अभी हलचल में है और भूमि कानून को लेकर सरकार नए प्रावधानों पर विचार कर रही है। यह मांग पिछले वर्षों में बढ़ रही है, लेकिन पहले उत्तर प्रदेश के भू-कानून का अनुसरण किया गया था।
राज्य ने कई बार भू कानून में संशोधन किए हैं। समिति की रिपोर्ट की जांच के लिए एक प्रारूप समिति गठित की गई है ताकि सरकार नए नियम तैयार कर सके।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पिछले वर्ष भू कानून को और मज़बूत बनाने के उद्देश्य से पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में समिति की गठन की। इस समिति ने भू कानून से जुड़े प्रावधानों और उनमें हुए संशोधनों का विश्लेषण कर अपनी रिपोर्ट सरकार को सितंबर महीने में सौंपी। इस रिपोर्ट में 23 सिफ़ारिशें शामिल थीं।
समिति ने यह सिफ़ारिश की कि कृषि या औद्योगिक उद्देश्यों से दी गई भूमि का दुरुपयोग हो रहा है, इसलिए इस अनुमति को जिला मज़िस्ट्रेट के बजाय सरकारी स्तर पर दी जानी चाहिए।
सरकार को एक प्रारूप तैयार करने के लिए सौंपा जाएगा, जिसमें एमएसएमई के लिए न्यूनतम भूमि आवश्यकता के आधार पर अनुमति देने की सिफ़ारिश की गई है, आवासीय उद्देश्यों के लिए 250 वर्ग मीटर की अधिकतम सीमा रखने की, और जो उद्देश्य भूमि को दी गई है उसे पूरा करने की अधिकतम सीमा को तीन वर्ष तक बढ़ाने की सिफ़ारिश की गई है।
जबकि समय के साथ भू कानून की मांग बढ़ रही है, सरकार ने सुभाष कुमार समिति की रिपोर्ट की जांच के लिए एक प्रारूप समिति की गठन की है। यह प्रारूप सरकार को भू कानून के लिए नया नियमावली तैयार करने में मदद करेगा।