पाकिस्तान में ‘धुरंधर’ की गूंज: बैन के बावजूद बनी सबसे ज्यादा पायरेटेड फिल्म, SRK–रजनीकांत की फिल्मों को भी छोड़ा पीछे
आदित्य धर के निर्देशन में बनी रणवीर सिंह स्टारर स्पाई थ्रिलर ‘धुरंधर’ भले ही पाकिस्तान और कुछ खाड़ी देशों में प्रतिबंधित हो, लेकिन इसका असर वहां के दर्शकों पर साफ नजर आ रहा है। बैन के बावजूद फिल्म ने पाकिस्तान में ऐसा रिकॉर्ड बनाया है, जिसने सिनेमाई और कूटनीतिक दोनों स्तरों पर हलचल मचा दी है।
18 दिसंबर को रिलीज हुए दो हफ्ते पूरे होने के बाद भी ‘धुरंधर’ बॉक्स ऑफिस पर मजबूत पकड़ बनाए हुए है। वहीं पाकिस्तान में यह फिल्म एक अलग ही वजह से चर्चा में आ गई है। मीडिया और ट्रेड रिपोर्ट्स के मुताबिक, ‘धुरंधर’ पाकिस्तान में अब तक की सबसे ज्यादा पायरेटेड भारतीय फिल्म बन चुकी है।
बैन के बावजूद रिकॉर्डतोड़ पाइरेसी
रिपोर्ट्स के अनुसार, रिलीज के महज दो हफ्तों के भीतर फिल्म को करीब 20 लाख बार अवैध रूप से डाउनलोड किया गया, जिससे इसने रजनीकांत की ‘2.0’ और शाहरुख खान की ‘रईस’ जैसे पहले के रिकॉर्ड्स को भी पीछे छोड़ दिया। यह आंकड़ा दर्शाता है कि प्रतिबंध के बावजूद फिल्म को लेकर लोगों में जबरदस्त जिज्ञासा बनी हुई है।
पाकिस्तान में क्यों लगी रोक?
‘धुरंधर’ की कहानी 1999 के कंधार विमान अपहरण, 26/11 मुंबई आतंकी हमलों और कराची के लयारी गैंगवार जैसे संवेदनशील विषयों पर आधारित है। इन्हीं वजहों से पाकिस्तान सरकार ने फिल्म को अपने यहां रिलीज करने से रोक दिया। हालांकि, डिजिटल प्लेटफॉर्म और पाइरेसी पर सरकार का नियंत्रण पूरी तरह नाकाम साबित हुआ।
पाकिस्तानी प्रतिक्रिया और जवाबी फिल्म की घोषणा
फिल्म में लयारी के चित्रण को लेकर पाकिस्तान में नाराजगी देखने को मिली। इसी के जवाब में सिंध सूचना विभाग ने ‘धुरंधर’ के खिलाफ एक अलग फिल्म बनाने की घोषणा की है। विभाग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर कहा कि
“गलतबयानी सच्चाई को नहीं मिटा सकती। लयारी संस्कृति और शांति के लिए जाना जाता है, हिंसा के लिए नहीं। ‘मेरा लयारी’ जनवरी 2026 में रिलीज होगी और सच्ची तस्वीर पेश करेगी।”
बैन के बावजूद मजबूत संदेश
भले ही पाकिस्तान में बैन के कारण मेकर्स को आर्थिक नुकसान हुआ हो, लेकिन फिल्म जिस तरह प्रतिबंध के बावजूद वहां तक पहुंची है, उसे भारत के लिए एक मनोवैज्ञानिक और सांस्कृतिक बढ़त के तौर पर देखा जा रहा है। ‘धुरंधर’ ने यह साबित कर दिया कि डिजिटल दौर में कंटेंट को सीमाओं में बांध पाना अब आसान नहीं रहा।

