बिलासपुर ट्रेन हादसा: प्रारंभिक जांच रिपोर्ट पर भड़के लोको रनिंग स्टाफ, बोले– अंतिम रिपोर्ट से ही सामने आएंगे सच
बिलासपुर (छत्तीसगढ़): दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में हुए बिलासपुर ट्रेन हादसे की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट जारी कर दी गई है। हालांकि, इस रिपोर्ट ने नया विवाद खड़ा कर दिया है।
लोको रनिंग स्टाफ (ट्रेन चालक दल) ने इस पर नाराजगी जताई है और कहा है कि अधिकारियों को रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) की अंतिम जांच रिपोर्ट आने से पहले किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचना चाहिए। उनका कहना है कि जल्दबाजी में दी गई रिपोर्ट से हादसे के वास्तविक कारणों को लेकर गलत संदेश जा सकता है।
🚆 क्या कहती है प्रारंभिक जांच रिपोर्ट?
प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, एमईएमयू ट्रेन के चालक दल ने खतरे के सिग्नल (रेड सिग्नल) पर ट्रेन को नियंत्रित करने में विफलता दिखाई।
इस कारण ट्रेन सामने खड़ी मालगाड़ी के ब्रेक वैन से जा टकराई।
रिपोर्ट में इसे सिग्नल पास्ड एट डेंजर (SPAD) यानी “रेड सिग्नल पार करने” का मामला बताया गया है।
इसके लिए चालक दल को सही समय पर ट्रेन नियंत्रित न करने का जिम्मेदार ठहराया गया है।
⚠️ लोको रनिंग स्टाफ ने क्यों जताई नाराजगी
लोको रनिंग स्टाफ का कहना है कि जब तक सीआरएस (Commissioner of Railway Safety) की अंतिम रिपोर्ट नहीं आ जाती,
तब तक किसी भी तरह का निष्कर्ष जारी करना जल्दबाजी होगी।
उनका तर्क है कि रेलवे दुर्घटनाओं की जांच कई स्तरों पर की जाती है —
जिसमें तकनीकी खामियां, सिग्नलिंग सिस्टम, ट्रैक मेंटनेंस और मानवीय त्रुटि सभी पहलुओं को देखा जाता है।
एक वरिष्ठ लोको पायलट के अनुसार —
“अगर प्रारंभिक रिपोर्ट में केवल चालक दल को दोषी ठहराया गया, तो यह न सिर्फ मानसिक दबाव पैदा करेगा बल्कि भविष्य की सुरक्षा जांचों की पारदर्शिता पर भी सवाल उठेंगे।”
🕯️ हादसे में आठ लोगों की मौत, कई घायल
इस भीषण रेल हादसे में आठ लोगों की मौत हुई थी और कई अन्य घायल हुए थे।
घायलों का इलाज विभिन्न अस्पतालों में चल रहा है।
रेल मंत्रालय ने मामले की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं, जबकि रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) की टीम घटना स्थल का निरीक्षण कर चुकी है।
📰 आगे क्या होगा
अधिकारियों के मुताबिक, अंतिम जांच रिपोर्ट में दुर्घटना से जुड़े सभी पहलुओं —
सिग्नलिंग सिस्टम, चालक की प्रतिक्रिया, ट्रैक कंडीशन और संचार व्यवस्था — की विस्तृत समीक्षा की जाएगी।
लोको रनिंग स्टाफ ने मांग की है कि अंतिम रिपोर्ट आने के बाद ही जिम्मेदारी तय की जाए, ताकि किसी पर बिना सबूत के आरोप न लगे।

