2024 Assembly में विपक्ष VS कौन ?, केवल नरेंद्र मोदी नहीं दे पाएंगे टक्कर !
पटना में विपक्षी दलों की एक बैठक हुई है जिसमें 2024 में नरेंद्र मोदी को हटाने पर करीब 4 घंटे तक विचार विमर्श और चर्चा की गई. और इसी दौरान अमेरिका की संसद में प्रधानमंत्री मोदी ने भी करीब एक घंटे का भाषण देकर खूब वाह-वाही बटोरी. जब पटना में विपक्षी दल ये भरोसा दिला रहे थे की हम सब एक जुट हैं और इसके बाद विपक्ष टूटने वाला नहीं है इसी दौरान पीएम नरेंद्र मोदी अमेरिका में बाइडन के साथ अपनी तस्वीर साझा करते हुए भारत और अमेरिका के रिश्ते को नए आयाम देने की बातें कर रहे थे.
हां मुझे मालूम है की ये पहली बार नहीं है जब कोई भारतीय प्रधानमंत्री अमरीका के दौरे पर हो और वहां की संसद में भाषण दिया हो. लेकिन देश का मीडिया ही कुछ ऐसा है की हमें ये मान चलना पड़ रहा है की अमेरिका का दौरा केवल नरेंद्र मोदी का दौरा है भारत के प्रधानमंत्री के तौर पर उनका दौरान नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि पहले जब प्रधानमंत्री विदेश जाया करते थे तो चर्चा होती थी की किस तरह की समझोतों पर बात हुई है. प्रधानमंत्री किस मकसद से विदेश गए हैं.. वहां से भारत के लिए क्या लेके आ रहे हैं अमेरिका भारत से कया चाहता है. मतलब की विदेश नीतियों के बारे में मीडिया में दिखाया जाता था सवाल पूछे जाते थे डिबेट होती थी FORIEGN EXPERTS अपनी राय रखा करते थे. लेकिन अब ये सभी मीडिया वाले केवल और केवल नरेंद्र मोदी के इर्द-गिर्द ही दौरे को रख लेते हैं समझौते और विदेश नीति पर चर्चा जाए भाड़ में.
इसलिए जिस तरह 2024 के लिए विपक्ष तैयार हो रहा है उसी तरह नरेंद्र मोदी और उनके तंत्र ने भी 2024 के लिए प्रचार प्रसार शुरु कर दिया है.
लेकिन आपको क्या लगता है की 2024 के लिए जिस तरह विपक्ष एक जुट होने का संदेश दे रहा है. वो उस भाजपा को टक्कर दे पाएगा जो बिना चुनाव के भी प्रचार मोड़ में रहती है. लेकिन चुनाव आते ही अपने प्रचार को इंटरनेशनल लेवल तक लेकर जाती है. आज हम डीकोड करेंगे 2024 में होने वाले चुनाव को लेकर देश की ताजा तरीन स्थिति को.
सबसे पहले बात करते हैं उस स्थिति की जो इससे पहले तक देश में बनी हुई थी लेकिन शायद अब बदल गई है. जिससे सवाल ये पैदा होता है की. 2024 में विपक्ष VS कौन ?
देखिए 2024 के लिए नरेंद्र मोदी बीजेपी का प्रधानमंत्री चेहरा तो होंगे. लेकिन जो बीजेपी अभी तक केवल नरेंद्र मोदी के नाम पर ही चुनाव जीतने का दम रखती थी वैसा होता हुआ अब नहीं दिखने वाला है… इसके पीछे विपक्ष का इकट्ठा होने के साथ-साथ अन्य तरह के कारण भी हैं… जिनके बारे में आगे बात करेंगे लेकिन ये साफ है की सिर्फ मोदी के नाम पर सत्ता में वापस आना बीजेपी के लिए अब मुश्किल है.. इसलिए विपक्ष की एक जुटता के सामने बीजेपी किस तरह के मुद्दे लाएगी ये देखना बहुत दिल्चस्प होगा.
2019 लोकसभा चुनाव की ही अगर हम बात करें तो उस चुनाव में भी बीजेपी की प्रचंड जीत की सबसे बड़ी वजह रही बालाकोट एयर स्ट्राइक और पुलवामा हमले की घटना. बीजेपी ने चुनावों में इसके नाम पर खूब वोट मांगे थे…. इन दो घटनाओं से पहले 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी 4 राज्यों में मिली हार से डरी हुई थी. ऐसे में इस बार नरेंद्र मोदी के चेहरे के साथ साथ… सरकार हो सकता है की राम मंदिर के मुद्दे को चुनाव से पहले पहले बड़ा बना दे…. साथ ही NATIONALISM और HINDUTVA के मुद्दे तो बीजेपी के चुनाव प्रचार के साथ-साथ चलते ही रहते हैं.
अब हम ऐसा क्यों कह रहे हैं की विपक्ष की एकजुटता के आगे 2024 में सिर्फ मोदी के नाम पर ही बीजेपी सरकार नहीं बना सकती सकती. वो इसीलिए क्योंकि 2019 के मुकाबले 2024 की स्थिति बहुत ज्यादा अलग…. सबसे पहले तो यही की इस बार फिलहाल बीजेपी के पास कोई बालाकोट का मुद्दा नहीं है वोट मांगने के लिए….. इसके अलावा कुछ बड़े मुद्दे जैसे.. किसान आंदोलन, पहलवानों का आंदोलन, बिहार में नीतीश का साथ छूटना, सत्यपाल मलिक का नरेंद्र मोदी पर बड़े आरोप लगाना, मणिपुर में हिंसा और राहुल गांधी की सफल भारत जोड़ो यात्रा बीजेपी को नुकसान पहुंचा सकती हैं….
इसके अलावा मंहगाई और बेरोजगारी से 2019 के मुकाबले लोग आज ज्यादा परेशान हैं…
अब ऐसा भी नहीं है की बीजेपी के खिलाफ इतना कुछ हुआ है तो बीजेपी ने इसके काउंटर में कुछ नहीं किया है… बीजेपी के पास भी फिलहाल कुछ मुद्दे हैं जिनके सहारे वो लोगों से वोट मांगेगी.
नरेंद्र मोदी के चेहरे के अलावा, नई संसद का बनना, कोरोना के दौरान वैक्सीनेशन का काम ( जिसके बारे में ध्यान रहे की कोरोना से निपटने में सरकार विफल साबित मानी गई थी… साथ ही लॉकडॉउन लागू करने का सरकार के तरीकों पर भी सवाल उठे थे जिस वजह से प्रवासी मजदूरों की बेबसी पूरी दुनिया ने देखी…. गंगा किनारे लाशों का ढेर को कौन भूल सकता है. सरकार के मौतों के आंकड़ों के साथ साथ सरकार के कोविड प्रबंधन पर कई सवाल उठे थे… सरकार के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक करीब 5.3 लाख लोगों की मौत कोरोना की पहली और दूसरी लहर में हुई थी… लेकिन WHO के मुताबिक करीब 47 लाख लोगों ने कोरोना के दौरान अपनी जान गंवाई थी… ऐसे में थी तो ये सरकार की एक बड़ी विफलता लेकिन हमारे देश का दुर्भाग्य ये है की वक्त के साथ-साथ यहां मौतों को भुला दिया जाता है) इसलिए इस फेलियर को दबाने के लिए वैक्सीनेशन में सरकार ने तेजी के साथ काम किया… और फिर इसका जमकर प्रचार भी किया जिस वजह से लोगों की नजरों में ये सरकार की बड़ी सफलता है… अब दोबारा 2024 पर आ जाते हैं… तो नरेंद्र मोदी के चेहरे के अलावा, नई संसद का बनना, कोरोना के दौरान वैक्सीनेशन के काम के अलावा लोगों तक फ्री राशन पहुंचाने जैसे काम सरकार लोगों के बीच जोर शोर से लेजा रही है…
काम के अलावा बीजेपी अपने फेवरेट टॉपिक का सहारा लेती रहती है जो है हिंदू औऱ मुसलमान के बीच नफरत फैलाने का… इसके अलावा बीजेपी ने मोदी सरकार के 9 साल पूरे होने पर भी कुछ काम गिनाए हैं जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्जवला विकास योजना, हर घर जल, आयुषमान भारत और हाइवों का निर्माण जैसे कामों को लेकर भी बीजेपी ने प्रचार शुरु कर दिया है..
अब बात उन कारणों को जो बीजेपी की हार का कारण बन सकते हैं..
सबसे बड़ा कारणों में से एक है किसान आंदोलन…. 2021 में एक साल से भी ज्यादा समय तक चले किसान आंदोलन ने बीजेपी को बहुत नुकसान पहुंचाया है… क्यों किसान आंदोलन से ही बीजेपी को उनके घोर विरोधी राकेश टिकैत मिले हैं… किसान आंदोलन से बीजेपी को जाटों का वोट तो गंवाना ही पड़ा है…. लेकिन इससे अलग-अलग राज्यों की खाप पंचायतों में भी नरेंद्र मोदी के खिलाफ हवा चली है…. अगर हम खाप पंचायतों को आसान भाषा में समझें तो एक गोत्र या जात बिरादरी के सदस्यों के समूह को खाप कहते हैं… पश्चिमी यूपी, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब में खाप पंचायतें मिल जाती हैं… और यही वजह है की इन सभी राज्यों में बीजेपी को 2024 में परेशानी होने वाली है…
इसी तरह सरकार की सबसे बड़ी नाकामी के तहत हुए पहलवानों के आंदोलन से ना सिर्फ हरियाणा और जाट समुदाय बल्की एक पूरे देश के एक बड़े तबके पर असर हुआ है …. सरकार ने एक अपरधी को बचाने के लिए देश के लिए मेडल लाने वाले पहलवानों के साथ जो बर्ताव किया वो पूरे देश ने देखा…
फिर आता है बिहार में नीतीश का झटका-… नितीश कुमार ने जैसे ही बीजेपी को बिहार में झटका देते हुए RJD के साथ अपनी सरकार बनाई… विपक्ष में एक ऊर्जा आ गई और अब तो नीतिश ही सबको साथ लाने का काम कर रहे हैं….
एक बड़ा फैक्टर 2024 में सत्यपाल मलिक का भी होगा…. पुलवामा हमले को लेकर और भ्रष्टाचार को लेकर उन्होंने नरेंद्र मोदी पर जिस तरह की बातें कही उसने निश्चित रूप से प्रधानमंत्री की छवी को खराब किया है…. हांलांकी यूपी से वो सांसद और विधायक रह चुके हैं लेकिन लोगों तक उनकी बात किस तरह से पहुंची उसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता है…
फिर आती है मणिपुर में हिंसा का होना… जो मोदी सरकार के सबसे बड़े फेलयर के रूप में सामने आई है.. लेकिन मणिपुर से बाहर ये कितना बड़ा चुनावी मुद्दा बनता है इसपर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है…
और अंत में राहुल गांधी की सफल भारत जोड़ो यात्रा… अंत में इसलिए क्योंकि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से बीजेपी को सीधे तौर पर कोई नुकसान नहीं हुई है….. लेकिन इससे राहुल गांधी और कांग्रेस को जरूर फायदा हुआ है जो बीजेपी की मेहनत को बढ़ा देगा…. मसलन जिस राहुल गांधी की छवी बीजेपी के तंत्र ने सहजादे और नासमझ राजनेता की बनाई थी… उस राहुल गांधी को भारत जोड़ो यात्रा ने प्रखर राजनेता बनाया और उनकी छवी को भी नासमझ से समझदार और संजीदा राजनेता की बनाई है….
अब इन सभी कारणों से साफ है की बीजेपी और नरेंद्र मोदी 2024 के लिए कोई बहुत अच्छी स्थिति में नहीं हैं…. हां बीजेपी के हिंदुत्व और राष्ट्रवादी कार्ड का हमें इंतजार करना चाहिए…. लेकिन ये साफ है की 2024का चुनाव केवल मोदी के नाम पर लड़कर बीजेपी जीत नहीं सकती है…. हालांकी विपक्ष की एकजुटता ARTHMATIC के साथ-साथ CHEMISTRY पर भी टिकी हुई है… मतलब 2024 में विपक्ष एक उम्मीदवार के बदले चाहे एक उम्मीदवार उतार भी दे लेकिन जनता के साथ किस तरह से संवाद कायम करता है किस तरह से बीजेपी की राजनीति को काउंटर करता है ये भी काफी अहम रहेगा बीजेपी को हराने के लिए…
ये भारत के दो नक्शे हैं… एक में भारत की विधानसभाओं की स्थिति दिख रही है औऱ दूसरे में भारत के राज्यों में लोकसभा सीटों की स्थिति…. पहले के मुकाबले राज्यों में बीजेपी का ग्राफ लगातार गिर रहा है…. लेकिन इससे लोकसभा की सीटों पर क्या असर पड़ेगा इसपर अभी कुछ कहा नहीं जा सकता है… क्योंकि लोकसभा में लोगों के दिमाग में केवल प्रधानमंत्री का चेहरा ही होता है… ऐसे में विपक्ष को या तो चेहरा ढूंढना होगा या मुद्दों की राजनीति को मजबूत करना होगा…. क्योंकि विपक्ष के गठबंधन को देखते हुए बीजेपी को हराना शायद मेथेमेटिकली आसान लग रहा हो…. क्योंकि बिहार, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, यूपी, महाराष्ट्र में शायद विपक्ष की स्थिति ठीक हो लेकन भूलना ये नहीं चाहिए की 201 के लोकसभा चुनाव में 29 में से 23 राज्यो में बीजेपी ने 45 से 50 प्रतिशत वोट लाए थे. जो अपने आप में एक बहुत बड़ा वोट शेयर है…