गांव की बेटी की कामयाबी की उड़ान: कभी डॉक्टर बनना चाहती थीं, आज रोल्स-रॉयस में 72 लाख का पैकेज – KARNATAKA GIRL SUCCESS STORY
कर्नाटक के एक छोटे से गांव की बेटी रितुपूर्णा के.एस. ने साबित कर दिया कि असफलता मंजिल का अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत हो सकती है। डॉक्टर बनने का सपना अधूरा रह गया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। आज वह रोल्स-रॉयस के जेट इंजन विभाग में काम कर रही हैं और उन्हें 72.30 लाख रुपये सालाना का शानदार पैकेज मिला है।
डॉक्टर नहीं बन सकीं, लेकिन मिली नई दिशा
शिवमोग्गा जिले के तीर्थहल्ली तालुक के कोडुरु गांव की रहने वाली रितुपूर्णा, सुरेश के.एन. और गीता सुरेश की बेटी हैं। उन्होंने मंगलुरु के सेंट एग्नेस स्कूल से पढ़ाई की और मेडिकल की तैयारी में जुट गईं। NEET परीक्षा में सफलता नहीं मिलने पर MBBS का सपना टूट गया, लेकिन उन्होंने खुद को संभाला और पिता की सलाह पर इंजीनियरिंग की राह चुनी।
2022 में उन्होंने कर्नाटक CET काउंसलिंग से सह्याद्री कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट, मंगलुरु में रोबोटिक्स और ऑटोमेशन इंजीनियरिंग में दाखिला लिया। यहीं से उनकी असली उड़ान शुरू हुई।

पहली ही परियोजना से बनाई पहचान
रितुपूर्णा ने कॉलेज के पहले साल से ही टेक्निकल प्रोजेक्ट्स में हिस्सा लेना शुरू किया। उनकी पहली परियोजना किसानों के लिए कटाई और छिड़काव करने वाले रोबोटिक सिस्टम पर आधारित थी, जिसे उन्होंने गोवा में INEX प्रतियोगिता में प्रस्तुत किया और स्वर्ण व रजत पदक जीते।
उन्होंने रोबोटिक सर्जरी पर शोध करने के लिए NITK सुरथकल के एक रिसर्च ग्रुप से भी जुड़ाव किया और डॉक्टरों के साथ मिलकर काम किया। इसके साथ ही उन्होंने दक्षिण कन्नड़ जिला कलेक्टर फेलोशिप में भाग लिया और ठोस कचरा प्रबंधन के लिए मोबाइल ऐप बनाने में योगदान दिया।
रोल्स-रॉयस में इंटर्नशिप से मिली बड़ी सफलता
रितुपूर्णा की कड़ी मेहनत का फल मिला जब उन्हें रोल्स-रॉयस में इंटर्नशिप का मौका मिला। जहां उन्हें एक महीने का असाइनमेंट मिला था, उसे उन्होंने सिर्फ एक हफ्ते में पूरा कर दिया। उनके काम से प्रभावित होकर कंपनी ने उन्हें और जिम्मेदारियां दीं।
इंटर्नशिप के दौरान वह रात में काम करतीं और दिन में कॉलेज जाती थीं। दिसंबर 2024 में उन्हें 39.60 लाख रुपये सालाना का प्री-प्लेसमेंट ऑफर मिला, जिसे अप्रैल 2025 में बढ़ाकर 72.30 लाख रुपये कर दिया गया।
अब अमेरिका में नई शुरुआत
रितुपूर्णा फिलहाल अपने छठे सेमेस्टर में हैं और घर से काम कर रही हैं। कॉलेज में रोज सुबह 8:30 से शाम 5 बजे तक क्लास अटेंड करती हैं। सातवां सेमेस्टर पूरा होने के बाद वह अमेरिका के टेक्सास जाएंगी, जहां वह रोल्स-रॉयस के जेट इंजन विभाग में फुलटाइम नौकरी शुरू करेंगी।
“मैं हमेशा डॉक्टर बनना चाहती थी, लेकिन जब वो सपना अधूरा रह गया तो इंजीनियरिंग से शुरुआत की। आज रोल्स-रॉयस का हिस्सा बनना एक सपने जैसा है।” – रितुपूर्णा
परिवार की प्रेरणा और मां की भावनाएं
रितुपूर्णा की मां गीता ने बताया कि शुरुआती 6 महीने बेटी रोती रहती थी, इंजीनियरिंग में उसका मन नहीं लगता था। लेकिन धीरे-धीरे उसने खुद को साबित किया। अब उसकी सफलता पूरे परिवार के लिए गर्व की बात है।
युवाओं के लिए मिसाल
रितुपूर्णा की कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा है, जिसका कोई सपना अधूरा रह गया हो। यह कहानी बताती है कि सही मार्गदर्शन, मेहनत और धैर्य से कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है – भले ही वो सपना रास्ता बदल ले।