BRICS को लेकर ट्रंप की धमकी के बाद NATO प्रमुख की सख्त चेतावनी, भारत-चीन-ब्राजील को दिए सिग्नल
BRICS देशों को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हालिया चेतावनी के कुछ ही दिन बाद, अब NATO प्रमुख मार्क रूटे ने भी भारत, ब्राजील और चीन को सीधे तौर पर सचेत किया है। उन्होंने रूस के साथ इनके व्यापारिक संबंधों पर सवाल उठाते हुए कहा कि यदि ये देश रूस का साथ देना जारी रखते हैं, तो उन्हें गंभीर आर्थिक नतीजों का सामना करना पड़ सकता है।
नाटो प्रमुख का सीधा संदेश: “पुतिन को फोन कीजिए”
अमेरिकी कांग्रेस के सांसदों से मुलाकात के दौरान रूटे ने दिल्ली, बीजिंग और ब्राजीलिया का नाम लेते हुए कहा,
“अगर आप भारत, चीन या ब्राजील के राष्ट्रपति हैं, तो आपको अब इस मामले पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। यह आपके देश को सीधे तौर पर प्रभावित कर सकता है।”
उन्होंने कहा कि अगर इन देशों ने रूस के साथ व्यापार बंद नहीं किया तो 100 प्रतिशत टैरिफ और सेकेंडरी सैंक्शंस लगाए जा सकते हैं।
ट्रंप की डेडलाइन और नाराजगी
इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस को 50 दिन की डेडलाइन दी थी, ताकि वह यूक्रेन के साथ शांति वार्ता पर आगे बढ़े। ट्रंप ने बीबीसी को दिए इंटरव्यू में कहा था,
“पुतिन अच्छी बातें करते हैं, लेकिन फिर कीव पर बमबारी कर देते हैं। यह उनकी दोहरी नीति है।”
नाटो और BRICS की भूमिका
BRICS — ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका का संगठन है, जिसमें अब मिस्र, ईथियोपिया, इंडोनेशिया, ईरान और UAE भी शामिल हो चुके हैं।
NATO यानी नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन में 32 देश हैं, जिनमें अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, कनाडा, तुर्की जैसे बड़े देश शामिल हैं।
भारत-रूस संबंध और संभावित असर
भारत और रूस के बीच वर्षों से मजबूत सामरिक और ऊर्जा संबंध रहे हैं। भारत, रूस से बड़ी मात्रा में तेल और रक्षा उपकरण खरीदता है। अगर अमेरिका भारत पर टैरिफ लगाता है, तो दवा, वस्त्र और तकनीकी उत्पादों का निर्यात प्रभावित हो सकता है।
चीन और ब्राजील पर क्या असर पड़ेगा?
- चीन, रूस का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। अमेरिका से टैरिफ झेलने पर चीन की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लग सकता है, क्योंकि वह अमेरिका को भारी मात्रा में निर्यात करता है।
- ब्राजील, हालांकि खुद को पश्चिम और रूस दोनों से दूर रखने की नीति पर चलता है, लेकिन वह BRICS को Global South की आवाज बनाना चाहता है। ऐसे में नाटो की धमकी से तेल और कृषि उत्पादों के निर्यात पर असर पड़ सकता है।
क्या BRICS अब अमेरिकी सॉफ्ट पावर के सामने चुनौती है?
विशेषज्ञ मानते हैं कि अमेरिका और नाटो की यह नाराजगी केवल रूस तक सीमित नहीं है, बल्कि यह BRICS के तेजी से बढ़ते वैश्विक प्रभाव को संतुलित करने की कोशिश भी है। बढ़ती सदस्यता और वैश्विक साउथ को एकजुट करने के प्रयास BRICS को अमेरिकी नेतृत्व वाले पश्चिमी गठबंधन के लिए चुनौती बना रहे हैं।