उत्तराखंड में जानलेवा सफर! लकड़ी के पुल से रोज नदी पार कर रहे ग्रामीण, बच्चों और मरीजों की जान जोखिम में
Uttarakhand Wooden Bridge Crisis | Patkot Village Ramnagar | Ghatugad Trali Bridge Uttarkashi
उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य में आज भी हजारों लोग ऐसी ज़िंदगी जीने को मजबूर हैं, जहां एक ओर उफनती नदियां हैं और दूसरी ओर एक लकड़ी का कमजोर पुल, जिस पर हर दिन सैकड़ों लोग अपनी जान हथेली पर रखकर सफर कर रहे हैं। राज्य में नैनीताल जिले के रामनगर और उत्तरकाशी जिले की अस्सी गंगा घाटी से ऐसी ही चिंताजनक तस्वीरें सामने आई हैं।

रामनगर के ग्रामीणों का दर्द: “हर रोज़ मौत का पुल पार करते हैं”
नैनीताल जिले के रामनगर से करीब 27 किलोमीटर दूर स्थित पाटकोट गांव के पास बसे रामपुर गांव के 800 से ज्यादा ग्रामीणों की ज़िंदगी हर दिन दांव पर लगती है। गांव को मुख्य सड़क से जोड़ने वाला एकमात्र रास्ता कालिगाड़ नदी पर बना अस्थायी लकड़ी का पुल है, जो हर साल बारिश में बह जाता है और ग्रामीणों द्वारा खुद मरम्मत कर फिर खड़ा किया जाता है।
- 50 से अधिक स्कूली बच्चे इसी पुल को पार कर राजकीय इंटर कॉलेज पाटकोट तक पहुंचते हैं।
- बरसात के मौसम में फिसलन बढ़ जाती है, जिससे बच्चे स्कूल नहीं जा पाते।
- बीमारों और गर्भवती महिलाओं को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए भी यही रास्ता है।
- अब तक दो बाइक सवार इस पुल से गिर चुके हैं, जिन्हें ग्रामीणों ने बचाया।
प्रशासन ने लिया संज्ञान, लेकिन वन विभाग की सीमा बनी अड़चन
इस गंभीर समस्या पर SDM रामनगर प्रमोद कुमार ने संज्ञान लेते हुए पुल के निर्माण का एस्टीमेट तैयार करने के निर्देश दिए हैं। हालांकि, लोक निर्माण विभाग (PWD) के अनुसार यह इलाका वन विभाग की सीमा में आता है, जिससे विभाग फिलहाल कोई निर्माण नहीं कर सकता।
PWD अधिशासी अभियंता संजय चौहान ने कहा,
“पुल निर्माण का प्रस्ताव उच्च अधिकारियों के समक्ष रखा जाएगा और आवश्यक भूमि हस्तांतरण के बाद ही आगे की कार्रवाई संभव होगी।”
उत्तरकाशी: 2012 की आपदा के बाद भी नहीं बना नया पुल
उत्तरकाशी जिले के अगोड़ा गांव के ग्रामीणों को घट्टूगाड नदी पार करने के लिए एक जर्जर ट्रॉली का सहारा लेना पड़ रहा है। 2012 की आपदा में पुल बह गया था और तब से अब तक कोई स्थायी पुल नहीं बन पाया।
- ट्रॉली की रस्सी खींचने में कई बार ग्रामीण नदी में गिरने का खतरा उठाते हैं।
- ट्रॉली की स्थिति इतनी खराब है कि किसी भी वक्त बड़ा हादसा हो सकता है।
लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता अमनदीप राणा ने बताया,
“36 मीटर लंबे स्पैन वाले नए पुल की डीपीआर और डिजाइन तैयार है। जल्द ही निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा।”
🔴 जिंदगी की कीमत पर सफर – कब मिलेगा स्थायी समाधान?
उत्तराखंड के इन गांवों की कहानी कोई नई नहीं है। हर साल, हर मानसून में, यह संकट दोहराया जाता है। प्रशासन, विभाग और योजनाएं—सब कुछ मौजूद है, लेकिन ज़मीन पर आज भी ग्रामीणों को जोखिम उठाकर नदी पार करनी पड़ती है। सवाल उठता है – क्या आज़ादी के 78 साल बाद भी मूलभूत ज़रूरतों के लिए लोग इसी तरह संघर्ष करते रहेंगे?