धर्म की आड़ में ठगी करने वालों के खिलाफ उत्तराखंड में चलेगा ऑपरेशन ‘कालनेमि’, सीएम धामी ने दिए सख्त निर्देश
OPERATION KALANEMI | UTTARAKHAND NEWS
उत्तराखंड सरकार ने धर्म के नाम पर लोगों को ठगने और संतों का भेष धारण कर पाखंड फैलाने वाले फर्जी लोगों के खिलाफ बड़ा एक्शन लेने का फैसला लिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पूरे राज्य में ‘ऑपरेशन कालनेमि’ शुरू करने के निर्देश दिए हैं।
📿 क्या है ऑपरेशन ‘कालनेमि’?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, ‘कालनेमि’ एक ऐसा असुर था जिसने साधु का भेष धारण कर लोगों को भ्रमित करने की कोशिश की थी। आज के संदर्भ में भी कुछ लोग धार्मिक भेष में समाज को धोखा देने का कार्य कर रहे हैं। इन्हीं पर कार्रवाई के लिए यह अभियान शुरू किया गया है।
🔍 कौन आएंगे ऑपरेशन कालनेमि के दायरे में?
- संतों का झूठा भेष धारण करने वाले
- महिलाओं को ठगने या उनका शोषण करने वाले
- धार्मिक आयोजनों में आस्था के नाम पर अपराध करने वाले
- जिनकी पहचान संदिग्ध है और वे पाखंड फैला रहे हैं
🛑 हरिद्वार-ऋषिकेश में सबसे ज्यादा मामले
राज्य के हरिद्वार, ऋषिकेश, काशीपुर, और नैनीताल जैसे धार्मिक और पर्यटक स्थलों पर साधु-संत बनकर ठगी करने वालों के कई मामले सामने आए हैं। खासकर कांवड़ यात्रा के दौरान ये लोग यात्रियों को निशाना बनाते हैं।
🗣️ मुख्यमंत्री धामी का बयान
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा:
“उत्तराखंड देवभूमि है, यहां धर्म और आस्था के नाम पर किसी भी प्रकार का पाखंड बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ऐसे भेषधारी कालनेमियों की पहचान कर उन्हें बेनकाब किया जाएगा। राज्य सरकार सनातन संस्कृति की रक्षा और जनभावनाओं के सम्मान के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।”
👮♂️ अधिकारियों को दिए गए निर्देश
सीएम धामी ने सभी जिलों के पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देशित किया है कि:
- धार्मिक स्थलों पर संदिग्ध भेषधारियों की पहचान की जाए
- आवश्यकता पड़ने पर आधार और पहचान पत्र की जांच की जाए
- पकड़े जाने पर संबंधित व्यक्ति के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई हो
🛡️ कांवड़ यात्रा के दौरान भी विशेष सतर्कता
11 जुलाई से शुरू हो रही कांवड़ यात्रा 2025 के दौरान ऑपरेशन कालनेमि के तहत कड़ी निगरानी रखी जाएगी। उत्तराखंड पुलिस, खुफिया विभाग और प्रशासन की टीमें यात्रियों की सुरक्षा और आस्था की रक्षा के लिए हर स्तर पर तैयार हैं।
📌 निष्कर्ष
‘ऑपरेशन कालनेमि’ के जरिए उत्तराखंड सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि धर्म की आड़ में ठगी, पाखंड और अपराध की कोई जगह नहीं है। यह कदम न केवल सनातन धर्म की गरिमा की रक्षा करेगा, बल्कि आम श्रद्धालुओं का विश्वास भी बनाए रखेगा।