बिहार वोटर लिस्ट: आधार और वोटर ID को वैध दस्तावेज मानने पर विचार करे चुनाव आयोग – सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बिहार में चल रहे वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) अभियान पर चुनाव आयोग (ECI) से तीखे सवाल पूछे हैं। अदालत ने ECI से आग्रह किया है कि वह मतदाता पहचान की प्रक्रिया में आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर ID जैसे दस्तावेजों को वैध प्रमाण के तौर पर शामिल करने पर विचार करे।
⚖️ सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी: “अब थोड़ी देर हो चुकी है”
जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने चुनाव आयोग की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए कहा कि,
“अगर नागरिकता की जांच करनी थी तो यह कार्य पहले किया जाना चाहिए था। अब चुनाव के इतने करीब यह प्रक्रिया लोकतंत्र की जड़ों को प्रभावित कर सकती है।“
हालांकि कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग को मतदाता सूची में संशोधन करने का संवैधानिक अधिकार है और इस प्रक्रिया में कोई अवैधता नहीं है।
🗳️ ECI को सूची संशोधन जारी रखने की अनुमति
सुप्रीम कोर्ट ने भारत निर्वाचन आयोग को SIR अभियान जारी रखने की अनुमति दे दी है। साथ ही आयोग को 21 जुलाई तक जवाब दाखिल करने को कहा गया है। इस मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई 2025 को निर्धारित की गई है।
📑 SC की सलाह: दस्तावेजों को व्यापक रूप से स्वीकार किया जाए
कोर्ट का मानना है कि:
“चुनाव आयोग को न्याय के हित में आधार कार्ड, राशन कार्ड, और वोटर ID जैसे व्यापक पहचान दस्तावेजों को मान्यता देने पर विचार करना चाहिए।“
यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब विपक्षी दलों और नागरिक समाज समूहों ने चुनाव आयोग की प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं।
🛡️ चुनाव आयोग का पक्ष: नागरिकता और वोटिंग अधिकार स्पष्ट
ECI की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता द्विवेदी ने कहा:
- “मतदाता सूची में संशोधन करना आयोग की संवैधानिक जिम्मेदारी है।”
- “केवल भारतीय नागरिक ही मतदान के पात्र हैं — यह संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत स्पष्ट है।”
- “आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं है, परंतु मतदाता सूची की शुद्धता बनाए रखने के लिए जरूरी बदलाव किए जा रहे हैं।”
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि,
“अगर आयोग को संशोधन का अधिकार नहीं है, तो फिर यह अधिकार किसके पास है?“
🔍 पृष्ठभूमि: 2003 के बाद पहली बार विशेष पुनरीक्षण
बता दें, बिहार में 2003 के बाद पहली बार मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण किया जा रहा है। इस बार संशोधन का उद्देश्य अपात्र मतदाताओं को हटाना और नए पात्र नागरिकों को जोड़ना है।