उत्तराखंड से पांच साल बाद फिर शुरू होगी कैलाश मानसरोवर यात्रा, जानिए इस बार क्या रहेगा खास– KAILASH MANSAROVAR YATRA 2025 UPDATE
पांच वर्षों के लंबे अंतराल के बाद एक बार फिर उत्तराखंड से कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू होने जा रही है। कोविड-19 महामारी और भारत-चीन सीमा विवाद के चलते इस पवित्र यात्रा को 2020 में स्थगित कर दिया गया था। लेकिन अब 4 जुलाई 2025 से यात्रा दोबारा शुरू हो रही है, और पहले जत्थे के साथ उत्तराखंड सरकार और तीर्थ यात्रियों दोनों में उत्साह चरम पर है।
🔹 यात्रा की शुरुआत और स्वागत
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले से शुरू होने वाली यात्रा में पहला जत्था 4 जुलाई को दिल्ली से टनकपुर (चंपावत) पहुंचेगा। इस जत्थे में 52 श्रद्धालु होंगे, जिनका पारंपरिक कुमाऊंनी रीति-रिवाजों के साथ स्वागत किया जाएगा। यात्रा का संचालन कुमाऊं मंडल विकास निगम (KMVN) द्वारा किया जा रहा है।
🔹 क्या रहेगा खास इस बार?
- मार्ग: यह यात्रा अब टनकपुर-चंपावत-पिथौरागढ़ होते हुए लिपुलेख दर्रे से होकर तिब्बत में प्रवेश करेगी।
- समय अवधि: कुल यात्रा अवधि 22 से 23 दिन की होगी।
- परिक्रमा: कैलाश पर्वत की 52 किमी की परिक्रमा भी इस यात्रा में शामिल है।
- भक्तों की संख्या: इस बार यात्रा में कुल 250 श्रद्धालु पांच जत्थों में जाएंगे।
🔹 पूरा यात्रा रूट
- दिल्ली से टनकपुर: प्रारंभिक स्वास्थ्य जांच के बाद पहला स्टॉप।
- टनकपुर → चंपावत → पिथौरागढ़ → धारचूला: प्रत्येक स्थान पर रात्रि विश्राम और स्थानीय संस्कृति का अनुभव।
- धारचूला → गुंजी → नाभीढांग: ऊंचाई बढ़ने के साथ दूसरी स्वास्थ्य जांच।
- नाभीढांग → लिपुलेख दर्रा: भारत का अंतिम पड़ाव।
- लिपुलेख से तिब्बत प्रवेश: यहां से यात्री तिब्बत में तकलाकोट, दारचेन, डिरापुक और जुथुलपुख तक यात्रा करेंगे।
🔹 प्रशासन की तैयारी
- कुमाऊं मंडल विकास निगम के GM विजय नाथ शुक्ला ने बताया कि सभी व्यवस्थाएं पूरी हैं।
- हाल ही में उन्होंने स्वयं सड़क मार्ग से लिपुलेख तक निरीक्षण कर हालात का जायजा लिया।
- भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में मशीनें तैनात की गई हैं ताकि रास्ता तुरंत खोला जा सके।
🔹 पंजीकरण और खर्च
- यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन kmy.gov.in पर किया जा सकता है।
- जरूरी दस्तावेज: पासपोर्ट स्कैन कॉपी, पासपोर्ट साइज फोटो, ईमेल और मोबाइल नंबर।
- दिल्ली हार्ट एंड लंग इंस्टीट्यूट में स्वास्थ्य परीक्षण अनिवार्य है।
- प्रति यात्री यात्रा लागत: लगभग ₹1.74 लाख, जिसमें ठहरने, खाने और परमिट की व्यवस्था शामिल है।
🔹 मुख्यमंत्री का बयान
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा:
“5 साल बाद शुरू हो रही कैलाश मानसरोवर यात्रा शिव भक्तों के लिए विशेष अनुभव लेकर आएगी। यह न केवल धार्मिक यात्रा है, बल्कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान को भी वैश्विक स्तर पर स्थापित करने का एक प्रयास है।”
🔹 धार्मिक, सांस्कृतिक और वैश्विक महत्व
कैलाश मानसरोवर यात्रा न केवल हिंदू, बल्कि बौद्ध, जैन और बोन धर्म के अनुयायियों के लिए भी अत्यंत पवित्र मानी जाती है। दुनियाभर से श्रद्धालु इस यात्रा में भाग लेते हैं, और यह उत्तराखंड की धार्मिक पर्यटन क्षमता को वैश्विक स्तर पर नई पहचान देती है।
📌 निष्कर्ष
कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 न केवल श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है, बल्कि उत्तराखंड की प्रशासनिक तैयारी और सांस्कृतिक समर्पण का भी उदाहरण है। 5 साल बाद फिर से शुरू हो रही इस यात्रा के माध्यम से श्रद्धालु न केवल शिव दर्शन करेंगे, बल्कि उत्तराखंड की अतिथि सत्कार और परंपराओं का भी हिस्सा बनेंगे।