उत्तराखंड पुलिस का सख्त निर्देश: हेमकुंड यात्रा में धारदार हथियार पर प्रतिबंध, बिना धार के धार्मिक प्रतीक ही मान्य
SHARP WEAPONS BAN | SIKH PILGRIMS | HEMKUND SAHIB YATRA 2025
उत्तराखंड पुलिस ने हेमकुंड साहिब यात्रा के दौरान सिख श्रद्धालुओं द्वारा लाए जाने वाले धारदार हथियारों को लेकर बड़ा फैसला लिया है। अब कोई भी श्रद्धालु तलवार, भाला, बरछी या कृपाण जैसे पारंपरिक शस्त्र तो ला सकता है, लेकिन उनमें धार नहीं होनी चाहिए। यह निर्णय हाल ही में सामने आई हिंसक घटनाओं के मद्देनज़र लिया गया है, जिनमें तलवार लहराते श्रद्धालुओं के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे।
📌 क्या कहा गया है नए आदेश में?
गढ़वाल रेंज के आईजी राजीव स्वरूप ने रेंज के सभी जिलों के एसएसपी को कड़े निर्देश दिए हैं कि:
- उत्तराखंड की सीमाओं पर विशेष निगरानी रखी जाए।
- केवल बिना धार वाले धार्मिक प्रतीक शस्त्रों को ही राज्य में प्रवेश की अनुमति दी जाए।
- यह जानकारी सिख समुदाय के ग्रंथियों और आयोजकों के माध्यम से श्रद्धालुओं तक पहुंचाई जाए।
🔍 पृष्ठभूमि: क्यों उठाना पड़ा ये कदम?
हाल ही में श्रीनगर और जोशीमठ जैसे क्षेत्रों में हेमकुंड साहिब यात्रा के दौरान कुछ सिख श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों के बीच झड़पें हुई थीं। इन घटनाओं में तलवारें लहराई गईं, जिससे कानून व्यवस्था पर संकट खड़ा हो गया था।
इन घटनाओं को ध्यान में रखते हुए, उत्तराखंड पुलिस ने एक संतुलित समाधान निकालते हुए धारदार हथियारों पर रोक लगा दी है, ताकि श्रद्धालुओं की आस्था भी बनी रहे और कानून व्यवस्था भी कायम रहे।
🗣️ आईजी गढ़वाल राजीव स्वरूप ने क्या कहा?
“धार्मिक भावनाएं अपनी जगह हैं, लेकिन कानून व्यवस्था सर्वोपरि है। श्रद्धालु अपनी परंपराओं के तहत तलवार, भाले, बरछी और कृपाण ला सकते हैं, लेकिन उनमें धार नहीं होनी चाहिए। धारदार हथियारों को लेकर सख्ती बरती जाएगी।”
🚨 पुलिस की रणनीति क्या है?
- चेक पोस्टों पर तलाशी अभियान तेज किया जाएगा।
- धारदार हथियारों को ज़ब्त किया जाएगा।
- किसी भी स्थिति में कानून हाथ में लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
🙏 सिख समुदाय के लिए संतुलित अपील
सिख श्रद्धालुओं के लिए तलवार और कृपाण सिर्फ हथियार नहीं, बल्कि आस्था, परंपरा और पहचान का प्रतीक हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड पुलिस ने धारहीन प्रतीकात्मक शस्त्रों को अनुमति दी है।
हर साल हज़ारों सिख श्रद्धालु हेमकुंड साहिब की यात्रा पर आते हैं, और ऐसे में राज्य सरकार की कोशिश है कि सुरक्षा और सम्मान दोनों के बीच संतुलन बना रहे।