कांवड़ यात्रा 2025: सीएम धामी बोले – “आस्था से कोई खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं”, फूड लाइसेंस अनिवार्य करने के पीछे बताई ये वजह
CM DHAMI STATEMENT | FOOD LICENSE RULE | KANWAR YATRA 2025
उत्तराखंड सरकार ने आगामी कांवड़ यात्रा 2025 को लेकर एक सख्त फैसला लिया है। सरकार के आदेश के अनुसार, यात्रा मार्ग पर स्थित होटल, ढाबा, रेहड़ी-पटरी और खाद्य व्यवसायियों को अपने प्रतिष्ठानों में फूड लाइसेंस या पंजीकरण प्रमाण पत्र अनिवार्य रूप से लगाना होगा।
इस फैसले को लेकर उठते सवालों के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खुद फैसले की वजह बताई और कहा कि इस बार यात्रा में चार करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना है, ऐसे में खाद्य सुरक्षा और श्रद्धालुओं की आस्था से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
🗣️ सीएम धामी का स्पष्ट संदेश: देवभूमि में अशुद्धता बर्दाश्त नहीं
मुख्यमंत्री ने कहा:
“हाल के महीनों में ‘थूक जिहाद’ जैसी घटनाएं सामने आई हैं। किसी भी कीमत पर भोजन को अशुद्ध करने जैसी हरकतें बर्दाश्त नहीं होंगी। कांवड़ यात्रा आस्था का उत्सव है और राज्य सरकार इसकी पवित्रता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।”
धामी ने कहा कि वह खुद हरिद्वार जाकर समीक्षा बैठक करेंगे, जिसमें प्रशासनिक अधिकारी और व्यापारी प्रतिनिधि भी मौजूद रहेंगे। उन्होंने साफ किया कि आदेशों का उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
📋 सरकारी दिशा-निर्देशों में क्या कहा गया है?
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार की ओर से 1 जुलाई को जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि:
- सभी होटल, भोजनालय, ठेले-फड़, ढाबा और खाद्य दुकानदारों को
✅ फूड लाइसेंस/पंजीकरण प्रमाणपत्र की प्रति दुकान पर स्पष्ट रूप से लगानी होगी।
✅ फूड सेफ्टी डिस्प्ले बोर्ड भी दुकानों पर लगाना अनिवार्य होगा।
✅ छोटे दुकानदारों को पहचान पत्र एवं रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र अपने पास रखना होगा।
❌ बाद में पहचान पत्र को सार्वजनिक रूप से लगाने की बाध्यता हटा दी गई है। केवल फूड लाइसेंस की अनिवार्यता बनी हुई है।
⚖️ कानूनी प्रावधान भी सख्त
- निर्देशों का उल्लंघन करने वालों पर खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2006 की धारा 55 के तहत कार्रवाई होगी।
- इसमें 2 लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है।
- खाद्य सुरक्षा अधिकारी हरिद्वार, देहरादून, टिहरी, पौड़ी और उत्तरकाशी में लगातार निरीक्षण और सैंपलिंग करेंगे।
🗣️ कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने भी दिया बयान
कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने फैसले का समर्थन करते हुए कहा:
“मैं गणेश जोशी हूं, तो मैं अपना नाम गणेश खान नहीं लिख सकता। राज्य में पहले कई घटनाएं हो चुकी हैं, इसलिए अब ऐसे निर्णय लेना जरूरी हो गया है।”
✅ स्थानीय व्यापारी भी फैसले के पक्ष में
कांवड़ यात्रा मार्ग पर व्यापार करने वाले दुकानदारों ने सरकार के फैसले का स्वागत किया है।
उनका कहना है कि अगर दुकान का नाम और आधार कार्ड दिखाना जरूरी किया गया है, तो इसमें कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
📌 निष्कर्ष:
कांवड़ यात्रा 2025 को लेकर उत्तराखंड सरकार की तैयारियां जोरों पर हैं। आस्था और सुरक्षा दोनों को प्राथमिकता देने के तहत फूड लाइसेंस अनिवार्य करने का निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री धामी का यह सख्त रुख इस बात का संकेत है कि इस बार किसी तरह की लापरवाही या साजिश को बख्शा नहीं जाएगा।