उत्तराखंड: फर्जी दस्तावेज़ों से विदेशी कर रहे सरकारी जमीन पर कब्जा, पुलिस ने 5 नेपाली नागरिकों पर दर्ज किया केस
उत्तराखंड के नैनीताल जिले में एक गंभीर मामला सामने आया है जहां विदेशी नागरिकों पर फर्जी दस्तावेजों की मदद से सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करने का आरोप लगा है। इस प्रकरण में पुलिस ने नेपाल मूल के पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
🧾 शिकायत के आधार पर सामने आया मामला
मल्लीताल निवासी पवन जाटव ने इस मामले की शिकायत पुलिस से की थी। उन्होंने नैनीताल एसएसपी को पत्र सौंपकर आरोप लगाया कि बीते कई वर्षों से नेपाल से आए कुछ लोग खुर्पाताल क्षेत्र में सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने फर्जी भारतीय पहचान पत्र और अन्य दस्तावेज बनवा लिए हैं।
🏠 सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण भी किए गए
पवन जाटव ने बताया कि इन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर विदेशी नागरिकों ने मकान भी बना लिए हैं, जो भूमि कानूनों के उल्लंघन के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं। उन्होंने इस मामले को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका भी दाखिल की है।
👮♂️ इन 5 नेपाली नागरिकों पर दर्ज हुआ मुकदमा
कोतवाली पुलिस ने जिन पाँच लोगों पर आईपीसी की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है, उनके नाम हैं:
- देवी रॉय
- हिमाल कुमार
- विनोद रॉय
- गौरी देवी
- राजवती देवी
इन पर आरोप है कि इन्होंने अवैध रूप से भारतीय नागरिक के फर्जी दस्तावेज बनवाकर जमीन कब्जाई है।
🔍 गंभीरता से हो रही जांच, अन्य विभागों से भी संपर्क
कोतवाल हेम चंद पंत के अनुसार, मामले की गंभीरता को देखते हुए राजस्व विभाग और आप्रवासन विभाग से भी संपर्क किया जा रहा है। यदि जांच में अन्य लोगों की संलिप्तता पाई गई, तो उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
⚠️ प्रशासन के सामने नई चुनौती
यह मामला न केवल स्थानीय प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है, बल्कि इससे यह सवाल भी उठता है कि विदेशी नागरिकों की निगरानी और दस्तावेज सत्यापन की व्यवस्था कितनी मजबूत है। प्रशासन अब अन्य अतिक्रमणों पर भी नजर बनाए हुए है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
📌 निष्कर्ष: कड़ी निगरानी और कार्रवाई की आवश्यकता
सरकारी जमीन पर विदेशी नागरिकों द्वारा कब्जा और फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से पहचान बनाना गंभीर अपराध है। ऐसे मामलों में समय रहते सख्त कार्रवाई और निगरानी व्यवस्था बेहद ज़रूरी है, ताकि राज्य की आंतरिक सुरक्षा और भूमि कानूनों की रक्षा सुनिश्चित की जा सके।