एक देश, एक चुनाव लोकतंत्र को बनाएगा और अधिक प्रभावी: सीएम पुष्कर धामी
देहरादून,
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बुधवार को मसूरी स्थित एक होटल में “एक देश, एक चुनाव” विषय पर आयोजित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के संवाद कार्यक्रम में शामिल हुए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पहल भारतीय लोकतंत्र को और अधिक मजबूत, प्रभावी और समावेशी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
मुख्यमंत्री ने समिति के अध्यक्ष व भाजपा सांसद पी.पी. चौधरी और अन्य सदस्यों का स्वागत करते हुए कहा कि भारत की चुनाव प्रणाली प्रभावी और सुदृढ़ रही है, लेकिन अलग-अलग समय पर चुनाव होने से बार-बार आचार संहिता लागू हो जाती है जिससे राज्यों के विकास कार्य रुक जाते हैं।
उन्होंने कहा कि चुनावों के दौरान बड़ी संख्या में अधिकारियों को मूल कार्यों से हटाकर चुनाव ड्यूटी पर लगाया जाता है, जिससे प्रशासनिक कामकाज प्रभावित होता है।

तीन वर्षों में 175 दिन रही आचार संहिता
मुख्यमंत्री ने बताया कि उत्तराखंड में पिछले तीन वर्षों में विधानसभा, लोकसभा और निकाय चुनाव हुए, जिनके कारण राज्य में कुल 175 दिन तक आचार संहिता लागू रही। उन्होंने कहा कि सीमित संसाधनों वाले छोटे राज्य के लिए ये 175 दिन प्रशासनिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं।
एक साथ चुनाव से 35% तक खर्च में होगी बचत
मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि विधानसभा चुनावों का पूरा खर्च राज्य सरकार वहन करती है, जबकि लोकसभा चुनावों का खर्च केंद्र सरकार उठाती है। यदि दोनों चुनाव एक साथ कराए जाएं तो खर्च साझा रूप से वहन किया जा सकता है जिससे लगभग 30-35% खर्च की बचत संभव है। यह बचत स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क, जल, कृषि और महिला सशक्तिकरण जैसे क्षेत्रों में उपयोग की जा सकती है।
उत्तराखंड के लिए विशेष रूप से जरूरी है एक देश, एक चुनाव
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि जून से सितंबर का समय उत्तराखंड में चारधाम यात्रा और मानसून के चलते संवेदनशील होता है। वहीं, जनवरी से मार्च के बीच वित्तीय वर्ष की अंतिम तिमाही और बोर्ड परीक्षाओं का समय होता है। इन स्थितियों में चुनाव कार्यक्रम प्रशासन और जनता दोनों के लिए चुनौतियों भरा हो जाता है।
उत्तराखंड जैसी भौगोलिक जटिलताओं वाले राज्यों के लिए “एक देश, एक चुनाव” का मॉडल अत्यंत आवश्यक और सार्थक है।