भारतीय क्रिकेट का दुर्भाग्य है की विराट को विदाई नहीं मिली.
विकेश शाह-
एक महान खिलाड़ी को उसकी महानता के अनुरूप विदाई नहीं दी गई। विराट कोहली, जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट को भारत में नई जान दी, आज उसी टेस्ट क्रिकेट को बिना मैदान पर उतरे छोड़ गए।
विराट कोहली का टेस्ट करियर किसी सुनहरे अध्याय से कम नहीं रहा। 123 टेस्ट मैचों में 9230 रन, 30 शतक, 31 अर्धशतक और लगभग 47 का औसत — यह किसी भी महान बल्लेबाज़ के लिए गर्व का आंकड़ा है। लेकिन जिस खिलाड़ी का सपना था कि वो टेस्ट क्रिकेट में 10,000 रन बनाए, वो 770 रन दूर रहते हुए ही इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए इस फॉर्मेट से अलविदा कह गया।
यह सिर्फ एक संयोग नहीं, बल्कि एक संकेत है भारतीय क्रिकेट की उस कमी का, जो अपने खिलाड़ियों को विदाई देने में बार-बार असफल रही है। कोहली ने भारतीय टेस्ट टीम को 10 सालों तक नंबर-1 बनाए रखा, ऑस्ट्रेलिया में ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज़ जीत दिलाई, और टेस्ट क्रिकेट को वो जुनून दिया जो सिर्फ एशेज तक सीमित था।
लेकिन इसके बावजूद, कोहली को न कोई फेयरवेल मैच मिला, न प्रेस कॉन्फ्रेंस में विदाई की गरिमा। कोच गौतम गंभीर और चीफ सेलेक्टर अजीत अगरकर जैसे पूर्व खिलाड़ी भी विराट के लिए एक आखिरी सीरीज़ का आयोजन नहीं कर पाए।
विराट कोहली का यह अचानक फैसला उनके फैंस और खेल प्रेमियों के लिए सदमे से कम नहीं। जिस खिलाड़ी को दुनिया में सबसे ज्यादा फॉलो किया जाता है — रोनाल्डो और मेसी के बाद — वो खिलाड़ी चुपचाप क्रिकेट के सबसे पवित्र फॉर्मेट से विदा ले ले, यह भारत जैसे क्रिकेट दीवाने देश के लिए शर्म की बात है।
यह सिर्फ विराट की बात नहीं। भारतीय क्रिकेट इससे पहले भी द्रविड़, सहवाग, लक्ष्मण, जहीर खान और यहां तक कि खुद गौतम गंभीर और अगरकर जैसे खिलाड़ियों को गरिमामयी विदाई देने में चूक चुका है। जबकि विदेशों में रिकी पोंटिंग, जैक कैलिस, एलिस्टेयर कुक जैसे खिलाड़ियों को स्टेडियम में आखिरी बार देखकर लाखों आंखें नम हुई थीं।
कोहली ने सिर्फ क्रिकेट नहीं खेला, उन्होंने क्रिकेट जिया है। उनका जुनून, उनका एटीट्यूड और उनकी फिटनेस इस पीढ़ी के लिए प्रेरणा रही है। वो सिर्फ एक बल्लेबाज़ नहीं थे, वो एक क्रिकेटिंग आइकन थे।
आज टेस्ट क्रिकेट से उनकी अचानक विदाई के बाद यह सवाल लाजमी है — क्या भारतीय क्रिकेट अपने महान खिलाड़ियों को वो विदाई नहीं दे सकता जो वे डिज़र्व करते हैं?
कोहली को एक आखिरी टेस्ट में उनके फैन्स, उनके टीममेट्स और उनके देश के सामने खेलते हुए देखना न सिर्फ उनकी बल्कि हम सबकी इच्छा थी। वो इच्छा अधूरी रह गई।
गुड बाय कोहली। लेकिन ये अलविदा नहीं, ये टीस हमेशा साथ रहेगी।