केदारनाथ: चारधाम यात्रा के बीच घोड़े-खच्चरों की मौत से मचा हड़कंप, इक्वाइन इन्फ्लुएंजा की आशंका, प्रशासन सतर्क
उत्तराखंड में चारधाम यात्रा जोरों पर है, लेकिन इसी दौरान केदारनाथ धाम में 13 घोड़ों की मौत ने चिंता बढ़ा दी है। शासन-प्रशासन ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए यात्रा मार्ग पर फिलहाल घोड़े-खच्चरों के संचालन पर रोक लगा दी है। साथ ही घोड़ों में इक्वाइन इन्फ्लुएंजा वायरस के संक्रमण की आशंका भी जताई जा रही है।
पशुपालन सचिव बीवीआरसी पुरुषोत्तम के अनुसार अब तक 8 घोड़े डायरिया और 5 घोड़े कोलिक की वजह से मरे हैं। इन मौतों की असली वजह जानने के लिए सैंपल जाँच के लिए भेजे गए हैं, जिनकी रिपोर्ट 4 से 5 दिनों में आएगी। इस दौरान केदारनाथ में घोड़े-खच्चरों का संचालन बंद रहेगा।
क्या है इक्वाइन इन्फ्लुएंजा?
पशुपालन सचिव ने बताया कि यह बीमारी इंसानों के कोरोना वायरस जैसी होती है लेकिन यह इंसानों में नहीं फैलती। संक्रमित घोड़ों में तेज बुखार, नाक बहना और कफ जैसे लक्षण देखे जाते हैं। हालांकि इससे मौत की संभावना केवल 1% होती है।
अब तक की कार्यवाही:
- 26 मार्च को रुद्रप्रयाग के दो गांवों में घोड़े संक्रमित पाए गए थे।
- 4 से 28 अप्रैल तक 16,000 घोड़ों की सैंपलिंग हुई, जिनमें से 152 पॉजिटिव पाए गए।
- RT-PCR जांच में कोई सैंपल पॉजिटिव नहीं निकला, इसलिए नेगेटिव रिपोर्ट वाले घोड़ों को यात्रा की अनुमति दी गई थी।
- बावजूद इसके दो दिन में ही 13 मौतें दर्ज हुईं, जिससे चिंता और बढ़ गई।
रोक और सावधानी:
- उत्तर प्रदेश से आने वाले घोड़े-खच्चरों पर पूरी तरह रोक लगाई गई है।
- 500 क्षमता का क्वारंटाइन सेंटर तैयार किया गया है।
- संक्रमित या संदिग्ध लक्षण वाले घोड़ों को क्वारंटाइन में रखा जाएगा।
- 22 वेटरनरी डॉक्टर और हिसार से दो वैज्ञानिक मौके पर तैनात हैं। साथ ही पंतनगर से 3 डॉक्टर भी भेजे जा रहे हैं।
आगे की रणनीति:
- हर घोड़े को जांच के बाद ही यात्रा मार्ग पर अनुमति दी जाएगी।
- 6 मई को 26 घोड़ों की जांच की गई, और यह प्रक्रिया तेज की जा रही है।
- इस साल केवल 5,000 घोड़ों के रजिस्ट्रेशन की अनुमति दी गई है, जबकि सामान्यतः यह संख्या 8,000 होती है।
चारधाम यात्रा मार्गों पर घोड़ों की साफ-सफाई, गर्म पानी और देखरेख की व्यवस्था भी सख्ती से की जा रही है। यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चरों का संचालन अब स्वस्थ पशुओं की उपलब्धता पर निर्भर करेगा।