केदारनाथ धाम में पहली बार शुरू हुई गंगा आरती, पुनर्निर्माण कार्य बने तीर्थ यात्रियों के आकर्षण का केंद्र | CHARDHAM YATRA 2025
चारधाम यात्रा 2025 के तहत केदारनाथ धाम के कपाट 2 मई को श्रद्धालुओं के लिए खोले जा चुके हैं। कपाट खुलने के बाद से ही बाबा केदार के दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। इस वर्ष की यात्रा खास इसलिए भी है क्योंकि 2013 की भीषण आपदा के बाद पहली बार केदारनाथ में गंगा आरती का आयोजन शुरू किया गया है।
🔔 आपदा के बाद पहली बार गूंजे गंगा आरती के मंत्र
मन्दाकिनी और सरस्वती नदी के संगम घाट पर गंगा आरती का आयोजन शुरू हुआ, जो कि आपदा के बाद पहली बार हुआ है। जिला प्रशासन और तीर्थ पुरोहितों के सहयोग से इस आयोजन ने तीर्थ यात्रियों में उत्साह और भक्ति की नई ऊर्जा भर दी है।
केदारसभा अध्यक्ष राजकुमार तिवारी के अनुसार, “गंगा आरती शुरू होने से तीर्थ यात्रियों में विशेष आनंद और श्रद्धा देखने को मिल रही है।”
🛕 पुनर्निर्माण कार्यों से बदली केदारपुरी की तस्वीर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत किए जा रहे तेजी से विकास कार्य केदारनाथ धाम को एक आधुनिक तीर्थ स्थल में बदल रहे हैं। कुछ प्रमुख कार्यों में शामिल हैं:
- संगम घाट का निर्माण – ₹15 करोड़ की लागत से तैयार, जहां श्रद्धालु स्नान करके पूजा करते हैं।
- सरस्वती नदी पर नया पुल – ₹12 करोड़ की लागत से बना सुंदर और उपयोगी पुल।
- अराइवल प्लाजा – जहां यात्री विश्राम कर सकते हैं और सेल्फी पॉइंट का आनंद ले रहे हैं।
- तीर्थ पुरोहितों के लिए 64 भवनों का निर्माण – जिनमें से 15 पूर्ण और 5 जल्द ही तैयार होने वाले हैं।
- सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, अस्पताल और कमान सेंटर का भी निर्माण हो चुका है।

🏞️ मंदाकिनी और सरस्वती तट पर नया अनुभव
श्रद्धालुओं के लिए नदी किनारे सुविधाजनक स्नान, शौचालय और दुकानें बनाई जा रही हैं। ट्रिपल स्टोरी दुकानों और भवनों से स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा। गरुड़चट्टी को जोड़ने वाले पुल का सौंदर्यीकरण भी कर सुरक्षा सुनिश्चित की गई है।
📸 सेल्फी पॉइंट से लेकर रोजगार तक
अराइवल प्लाजा में तीर्थ यात्री आराम करने के साथ-साथ फोटोग्राफी और रचनात्मक सेल्फी का भी आनंद ले रहे हैं। यहां की व्यवस्था से यात्रियों की थकान कम हो रही है, वहीं निचली मंजिल पर बनी दुकानों से व्यापारियों को आर्थिक संबल मिल रहा है।
2025 की चारधाम यात्रा में केदारनाथ धाम एक नया अनुभव बनकर उभरा है – गंगा आरती की आध्यात्मिक ऊर्जा और पुनर्निर्माण की भव्यता ने श्रद्धालुओं को न केवल सुविधा दी है, बल्कि उन्हें भावनात्मक रूप से भी जोड़ा है। यह बदलाव दर्शाता है कि धार्मिक स्थलों के आधुनिकीकरण के साथ भी संस्कार और परंपरा को जीवंत रखा जा सकता है।