हिंदू महिला ने वक्फ कानून को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती, भेदभाव का लगाया आरोप
अब तक वक्फ कानून को लेकर अदालतों का रुख मुसलमानों या राजनेताओं की ओर से ही देखने को मिलता था, लेकिन पहली बार एक हिंदू महिला ने वक्फ कानून 1995 और हाल ही में लागू हुए वक्फ संशोधन कानून 2025 के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है। याचिकाकर्ता पारुल खेड़ा ने इन कानूनों को हिंदुओं और अन्य गैर-मुस्लिमों के साथ भेदभावपूर्ण बताते हुए इन्हें असंवैधानिक करार देने की मांग की है।
क्या है याचिका की मांग?
याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट यह स्पष्ट करे कि वक्फ कानून के तहत जारी कोई भी अधिसूचना, आदेश या नियम गैर-मुस्लिमों की संपत्ति पर लागू नहीं होगा। साथ ही, वक्फ कानून की कई धाराओं — जैसे धारा 4, 5, 6, 7, 8, 28, 52, 54, 83, 85, 89 और 101 — को संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता), 15 (भेदभाव निषेध), 25-26 (धार्मिक स्वतंत्रता), 27 (धार्मिक कर से मुक्ति), 300A (संपत्ति का अधिकार) और 323A (प्रशासनिक ट्राइब्यूनल) के खिलाफ बताया गया है।
वक्फ संशोधन कानून 2025 और उठती आशंकाएं
हाल ही में केंद्र सरकार ने वक्फ कानून में संशोधन कर नया कानून 2025 पारित किया है, जिसे कई मुस्लिम संगठन और विपक्षी दल पहले से ही चुनौती दे रहे हैं। इस कानून को लेकर अब तक सुप्रीम कोर्ट में 10 से अधिक याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं। सरकार ने भी कैविएट दाखिल किया है ताकि कोर्ट सरकार का पक्ष सुने बिना कोई आदेश न दे।
क्या कहा गया है याचिका में?
- वक्फ कानून वक्फ बोर्ड को विशेष अधिकार देता है कि वह किसी भी ट्रस्ट या संस्था की संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित कर सकता है, जबकि हिंदू व अन्य धार्मिक समुदायों को ऐसा कोई अधिकार नहीं।
- यह कानून धर्मनिरपेक्षता और समानता के सिद्धांत के खिलाफ है।
- कानून में गैर-मुस्लिम संपत्ति को वक्फ घोषित करने से रोकने के लिए कोई सुरक्षा उपाय नहीं है।
- प्रभावित व्यक्ति को सुनवाई का अवसर नहीं मिलता, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन है।
- वक्फ संपत्तियों के सर्वे और अधिसूचना का खर्च सरकारी खजाने से होता है, जो अनुच्छेद 27 का उल्लंघन है।
पब्लिक नोटिस की कमी और ट्रिब्यूनल की वैधता पर सवाल
याचिकाकर्ता ने यह भी कहा है कि वक्फ बोर्ड की कार्रवाई से पहले सार्वजनिक सूचना जारी करने का कोई प्रावधान नहीं है, जिससे कई बार गैर-मुस्लिम अपनी ही संपत्ति के वक्फ घोषित हो जाने की जानकारी तक नहीं पा पाते। साथ ही, वक्फ ट्रिब्यूनल को ऐसे संपत्ति विवादों की सुनवाई का अधिकार देना भी सवालों के घेरे में है। याचिका में तर्क दिया गया है कि सिविल कोर्ट ही ऐसे मामलों को निपटाने में अधिक सक्षम है।
क्या है अगला कदम?
सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर 16 अप्रैल को सुनवाई करेगा। यह मामला वक्फ कानून पर एक नई बहस की शुरुआत कर सकता है, जिसमें न केवल धार्मिक अधिकार बल्कि समान नागरिक अधिकारों की परिभाषा भी सामने आएगी।