केदारनाथ में थार विवाद: जानें सारी जानकारी
केदारनाथ में मरीजों की सुविधा के नाम पर जो थार पहुंचाई गई है, क्या आपको पता है की उसे वहां पर वीआईपी लोगों के लिए सवारी गाड़ी बना दी गई है। कुछ वीडियोज देख कर तो यही लगता है की केदारनाथ में थार मरीजों के लिए नहीं बल्की अमीरों के लिए मंगाई गई है।
क्या आपको पता है की केदारनाथ में 2-2 थार पहुंची हैं, और वो भी सेना के हेलीकॉप्टर से। जून के महीने में ही दोनों थार केदारनाथ में पहुंची थीं। लेकिन अब थार पहुंचने के कुछ दिन बाद ही कुछ ऐसे वीडियो सामने आए जिसने विवाद खड़ा कर दिया है।
अब दरअसल जब थार पहुंची थीं तो उस समय पर्यटन विभाग की तरफ से ये कहा गया था की गाड़ी यहां पर बुजुर्ग, दिव्यांग और बीमार यात्रियों को हेलीपैड से मंदिर परिसर तक पहुंचाने के लिए लाई गई है। लेकिन कुछ दिन बाद ही कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते हैं जिसमें अच्छे से अपने पैरों पर खड़े होने वाले कुछ यात्री थार से निकतले हुए दिखाई देते हैं।
बताया तो ये जा रहा है की कुछ अधिकारी केदारनाथ धाम में थार का दुरुपयोग कर रहे हैं और अपने जानने वाले यात्रियों को हेलीपैड से केदारधाम मंदिर तक पहुंचा रहे हैं। अब इस वीडियो के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद उत्तराखंड की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने कार्रवाई की मांग की है।
आपने मुख्य सचिव राधा रतूड़ी को सुना जो साफ-साफ कह रही हैं की थार केवल और केवल जरूरतमंद यात्रियों के लिए इस्तेमाल की जाएगी। लेकिन क्या कभी ऐसा होता है।
जिन अधिकारियों को सरकारी गाड़ी मिलती है, क्या वो उसका इस्तेमाल सिर्फ अपने सरकारी कामों के लिए ही करते हैं, बिल्कुल भी नहीं। यहां तक की अधिकारी गाड़ी तो क्या अपने कर्मचारी से भी अपना पर्सनल काम करवाते हैं। ऐसे में ये सोचना की थार किसी वीआईपी के काम नहीं आयेगी, ये एक गलतफहमी ही होगी। थार आज नहीं तो कल, कल नहीं तो परसों, और परसों नहीं तो, रात के अंधेरे में कभी ना कभी किसी इस तरह के कामों के लिए इस्तेमाल होनी है।
ऐसे में क्या थार पहुंचाने का आईडिया सही था। सीनीयर जर्नलिस्ट अजीत राठी ने ट्विटर पर लिखा है की, अगर बीमार और विकलांग यात्रियों के लिए वाहन भेजना ही था तो कोई मेडिकल से लेस वाहन भेजी जाती, थार ही क्यों भेजी गई।
उनका सवाल भी वाजिब है, अगर Health issues की वजह से कोई वाहन केदारनाथ में भेजना ही था तो कोई मुनी एंबुलेंस क्यों नहीं भेजी गई। हां थार के 4 BY 4 होने की वजह से शायद उसे तवज्जो दी गई हो, लेकिन दोनों गाड़ियों को मेडिकली लेस भी किया जा सकता था, ताकी वो एक तरह की एंबुलेंस ही लगे।
लेकिन जिस तरह से थार भेजी गई है, वो किसी के मन में भी सवाल उठाएगी। इसीलिए थार के पहुंचने पर ही लोगों ने विरोध शुरु कर दिया था। केदारनाथ के पर्यावर्ण के नजरिए से वाहनों का वहां पर पहुंचना चिंताजनक है। केदारनाथ सिर्फ धार्मिक धरोहर ही नहीं है बल्की पर्यावरण के नजरिए से भी बहुत संवेदनशील जगह है। ऐसे में विरोध तो यहां किसी भी वाहन के आने पर होना ही चाहिए।
वैसे उत्तराखंड प्रशासन चाहे कितनी ना भी कह दे की थार केवल जरूरतमंदों के लिए ही इस्तेमाल में ली जाएगी, लेकिन अगर कोई नेता, मंत्री, या बड़ा अधिकारी ही वहां पहुंचेगा तो सबसे पहले तो थार ही उसकी खिदमत में शामिल रहने वाली है, और अगर ऐसा होता है तो सच में ये केदारनाथ और उत्तराखंड दोनों के लिए ही सही नहीं होगा।