होली के दिन सीएम धामी एक बार फिर दिखे अपने सौम्य सरल सहज और चिर परिचित अंदाज में
होली की पूर्वसंध्या पर मुख्यमंत्री धामी की सरकारी आवास पर होली मिलन का कार्यक्रम आयोजित किया गया था. इस कार्यक्रम में पार्टी के तमाम नेताओं को निमंत्रित कर उनके साथ मुख्यमंत्री धामी ने सब परिवार होली खेली।.. और एक दूसरे को शुभकामनाएं दी.
फिर होली के दिन यानी सोमवार सुबह 9:00 से जो भी उनके आवास पर आया सबको बधाई दी, सबके साथ होली खेली और सबको शुभकामनाएं दी.
इसके बाद मुख्यमंत्री होली के दिन सबसे पहले राजभवन गए और राज्यपाल को होली की शुभकामनाएं दीं लेकिन उनका मन और उनके संस्कार इतने भर से कहां मानने वाले थे.
इसके बाद शुरू हुआ राज्य के अंदर मौजूद सभी पूर्व मुख्यमंत्री के घर जा जाकर उनको होली की शुभकामनाएं देने का कार्यक्रम.. उन्होंने प्रत्येक पूर्व मुख्यमंत्री के घर जाकर होली खेलने का का निर्णय जो लिया था.
उत्तराखंड में धामी सबसे कम आयु मे बनने वाले मुख्यमंत्री हैं, और सभी पूर्व मुख्यमंत्री आयु में उनसे बड़े हैं। उन्होंने भगत सिंह कोश्यारी, भुवन चंद्र खंडूरी, रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, त्रिवेंद्र सिंह रावत और तीरथ सिंह रावत जैसे भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्रियों के घर जाकर होली तो खेली, और इसके साथ हीं वे कांग्रेस की सरकार में मुख्यमंत्री रहे हरीश रावत के घर भी पहुंच गए और उनके साथ भी होली खेलकर शुभकामनाएं दी.
अपने से बड़ों को सम्मान देना, उनका आदर करना और समय-समय पर उनका मार्गदर्शन लेते रहना, पुष्कर धामी का यही अंदाज वर्तमान राजनीति में उन्हें औरों के मुकाबले अलग खड़ा करता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबका साथ और सबका प्रयास के मंत्र को धामी ने अपनी कार्यशैली में पूरी तरह से समाहित कर रखा है.
बात चाहे बीजेपी के मूल एजेंडे को लागू करने की हो, डबल इंजन का भरपूर उपयोग करने की हो, या फिर सबको साथ लेकर चलने की हो, धामी सभी मोर्चों पर लगातार खरे उतरते दिखाई दे रहे हैं। अपनी पार्टी के नेताओं के साथ-साथ धामी विपक्ष के नेताओं को भी भरपूर समय देते हैं, और उनकी बात बड़े ध्यान से सुनते हैं। शायद यही कारण है उत्तराखंड में विपक्ष के नेता भी व्यक्तिगत स्तर पर धामी की तारीफ करते पाए जाते हैं, और उन पर निजी हमले करने से बचते हैं।
पुष्कर धामी का यही स्टाइल ऑफ पॉलिटिक्स उन्हें भीड़ से अलग खड़ा करता है, और एक सुखद अहसास भी कराता है कि उत्तराखंड के पहाड़ों से आने वाली समावेशी राजनीति की ठंडी हवाएं सबको शीतलता प्रदान करती रहेंगी